13 मई, 2020

वहीं हमारा घर होगा


चल सजनी आ चलें वहाँ
आकाश धरा मिलते जहां
वहाँ छोटा सा घर बनाएँ
हरियाली भरपूर लगाएं
जब भी पंछी वहाँ आएं
दाना चुगें प्यास बुझाएं
कितना सुखद एहसास होगा
तृप्ति का आभास होगा |
संचित सुखद पल जीने को
मन हो रहा बेकल
वह वहीं शांत हो पाएगा
जब तुम्हारा साथ होगा |
परम शान्ति का  अनुभव होगा 
कोइ व्यवधान नहीं होगा
प्रभु आराधन में लीन
मधुर ध्वनि मुरलिया की
जब भी सुन पाएंगे
श्रद्धा सुमन बरसाएंगे
परम प्रेम का आगाज़ होगा
जीवन तभी सार्थक होगा
दूर क्षितिज तक कभी
शायद ही कोई पहुंचा होगा
पर हमें न कोइ रोक सकेगा
वहीं हमारा घर होगा |
आशा 

18 टिप्‍पणियां:

  1. मधुर साध ! सुन्दर सृजन !

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14.5.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3701 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।

    धन्यवाद

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  3. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीया दीदी

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  4. धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  5. धन्यवाद नीलेश जी टिप्पणी के लिए |

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  6. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 18 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. धन्यवाद सहित आभार सूचना हेतु मेरी रचना शामिल करने के लिए |

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  7. सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीया।
    सादर।

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  8. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीया

    जवाब देंहटाएं

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