11 मई, 2020

किसलय


बिना किसलय हुई  वीरान बगिया  
 माली की  देखरेख के बिना
माली उलझा अपने आप में
बिना सही  संसाधनों के |
एक समय ऐसा था
जब गुलशन परिसर में घुसते ही
सुगंध आने लगती थी
पूरी बगिया महक उठती थी
रंग बिरंगे खिलते पुष्पों से |
अब  पर्यावरण  प्रदूषण से
पुष्पों की खेती हुई प्रभावित
हरी डालियाँ सूख रहीं
कच्ची कलियाँ खिल न सकीं |
यही हाल यदि रहा
 बिना गुल होगा गुलशन बंजर
ना ही सुनाई देगा भ्रमरों का गुंजन
ना ही  उड़ेगी रंगबिरंगी तितलियाँ पुष्पों पर  |  
बच्चों का तितली पकड़ना
उनके पीछे दौड़ लगाना
बहुत आकर्षित करता है संध्या को
गुलजार गुलशन में घूमना |
वह है एक मुरझाया  किसलय
वीरान  बाग में बिना देखरेख के
या कोई माला के पुष्प सी
जिसे फैका गया उतार कर |
किसलय तभी शोभा देता है
जब तक टहनी पर लगा हो
या गुलदस्ते में सजा हो
अब क्या जरूरत उसकी |
आशा

12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 11 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बहुत सुन्दर सृजन ! बहुत खूब !

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  3. धन्यवाद शास्त्री जी टिप्पणी के लिए |

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  4. धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  5. सुप्रभात
    शब्द -सृजन२१ के लिए मेरी रचना किसलय के चुनाव के लिए आभार अनीता जी |

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  6. बहुत सुंदर और सार्थक रचना

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