प्रातःकाल अखवार की सुर्खियाँ
प्रथम पृष्ठ पर कई समाचार
ऊपर से नीचे तक
समूचा हिला जाते हैं |
यह साल भी अनोखा निकला
मंहगाई अनियंत्रित हुई
सारी सीमां पार कर गयी
हर पखवाड़े के बाद और बढ़ती गयी |
यह तो पहली बार देखा
कैसे करें इसे अनदेखा
पेट्रोल महंगा होता गया
एक ही वर्ष में ९ बार कीमत बड़ी |
फिर भी खपत कम ना हुई
बढ़ती ही गयी
साथ ही वाहनों की
संख्या भी बढ़ी |
ना जाने कैसे लोग
अपने शौक पूरे करते हैं
काला धन बाहर आता है
या ऋण में डूबे रहते हैं |
अर्थ शास्त्र के नियम भी
अब पुराने लगते हैं
है कितना निर्भर व्यक्ति
भौतिक सुविधाओं पर |
उनके बिना जीना
किसी को अच्छा नहीं लगता
गरीब हो या अमीर
उनका गुलाम होता जाता |
अब सभी सुविधाओं का
आवश्यक सूची में जुडना
लगभग निश्चित सा हो गया है
आवश्यकता ,सुविधा और विलासिता में अंतर
नगण्य सा हो गया है |
आशा