30 दिसंबर, 2014
26 दिसंबर, 2014
मैं अकेला
खो गया यूं ही नहीं
गुमनामी के अँधेरे में
अपने आसपास ओढ़ा
आवरण भी गहन नहीं
फिर भी अन्धकार से घिरा
मार्ग से बिचलित हुआ
अहसास अकेलेपन का
इस तरह हावी हुआ
जीवन भार सा हुआ
अब रह ही क्या गया
नई राह खोजने को
उस पर आगे बढ़ने को
अब खुद से ही बेजार हूँ
करनी पर पशेमान हूँ
मैं ही पकड़ नहीं पाया
समय से पीछे रह गया
यदि पहले से सचेत होता
गुमनामी नहीं झेलता
हमजोली मेरा होता
हर कदम पर साथ देता
यूं ही एकल ना रहता |
आशा
24 दिसंबर, 2014
आज बड़ा दिन है |
है जन्म दिन तुम्हारा
सभी जन केक काटते
सभी जन केक काटते
खुशिया बाँटते |
जन्म लिया था तुमने ईशू
मानव कल्याण के लिए
पाप सब के खुद ढोए
सलीब पर चढ़े |
सलीब पर चढ़े |
कितने कष्ट सहे उफ तक न की
स्मित मुस्कान बिखेरी
शांत भाव मुख मंडल पर लिए |
आये थे
प्रभु का सन्देश
अनुयाइयों को देने
बिखरी हुई मानवता को
एक सूत्र में बांधने |
अपना कार्य पूर्ण कर
प्रभु के पास चले गए
सभी अनुयाई धन्य हुए
ईश्वर पुत्र का आशीष पा |
हर वर्ष हँसी खुशी से
उपहारों का आदान प्रदान अनुयाइयों को देने
बिखरी हुई मानवता को
एक सूत्र में बांधने |
अपना कार्य पूर्ण कर
प्रभु के पास चले गए
सभी अनुयाई धन्य हुए
ईश्वर पुत्र का आशीष पा |
हर वर्ष हँसी खुशी से
अनुगामी जश्न मनाते
बैर भाव भूल कर
केवल प्यार बाँटते है|
तुम्हारे जन्म दिन पर
तुम्हारे जन्म दिन पर
परम्परा सी हो गई है
तभी रहता है
इंतज़ार सभी को
इंतज़ार सभी को
क्रिसमस ट्री का ,उपहारों का
आशा
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