18 मई, 2015

मधुमास में




                    मधुमास का स्वागत करना था
पूजन अर्चन करना था 
था वसंत पंचमीं का त्यौहार
वीणापाणी की सेवा करना थी  |
पीत वसन धारण किये
सरस्वति को नमन कर
केशरिया रंग में रंगी
धरणी पर विचरण किया |
जिस और भी दृष्टि गई
वर्चस्व इस रंग का देखा
मन उत्साह से भरा
कर पाई ना अनदेखा |
वृक्षों पर पुष्प वासंती
नीचे फूलों की चादर वासंती
हरियाली में रंग वासंती
मन को उत्फुल्ल करता |
पीत वसन से सजी धरा
हरियाली में रंग पीला भरा
जीवन का रंग हुआ वासंती
अनंगमय हुई धरती  |
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16 मई, 2015

तृष्णा


सुख दुःख का है खेल जिन्दगी
धूप छाँव का मेल जिन्दगी
दुःख से दूरी सभी चाहते
सुख के सपनों में खो जाते |
नशा सुख का मद में बदलता
अहंकार भी बढ़ने लगता
मदहोशी जब बढ़ती जाती
लिप्त उसी में हो  रहते |
सोच संकुचित होने लगता
प्रत्येक वस्तु का मोल लगाते
गरूर जब  पैसे का  होता
रंग रलियों में होते  लिप्त  |

आधुनिकता की दौड़ में
कैसे पीछे रह जाते
छीन झपट धन संचय करते
पर आत्मसंतोष नहीं पाते |
और अधिक पाने की चाह में
झूठ  की दुकान लगाते
उससे जब मन भर जाता
मनमानी करने लगते 
बेईमानी पर उतर आते |
आशा





15 मई, 2015

प्यास न बुझी

 

.कारे बदरा
जल के संचायक
बरस जाते |

आसमान में
घर समझ लिया
बदरवा ने |

जलाभिषेक
करने आ गए
 बादल काले |





मीत बावरा
अधीर होने लगा
न पा उसको |

धरती सूखी
जल के अभाव में
प्यास न बुझी |
आशा