24 मई, 2015

अभिव्यक्ति


अभिव्यक्ति का अर्थ के लिए चित्र परिणाम
भावों की अभिव्यक्तिजब
सहज सरल शब्दों में हो
आकृष्ट सभी को करती 
कविता में जान फूंकती |
हो रसमयी भाव पूर्ण
सुन्दर आवरण में लिपटी हो
गीत रूप में प्रस्तुत हो
आशा यही की जाती |
अभिव्यक्ति कैसी रही
 किसी ने नहीं सोचा
 बस अर्थ निकल जाए
उसी पर ध्यान दिया|
है वह कविता का मुख्य अंग
नया अंदाज सम्प्रेषण का
जीवंत उसे करता
उसे नवीन  स्थान दिलाता|
 भावपूर्ण अभिव्यक्ति
कविता में प्राण फूंकती है
यदि बिम्बों का सहारा मिले
सोने में सुहागा लगती है |
आशा  

22 मई, 2015

विनती है तुझसे


प्रार्थना करता भक्त के लिए चित्र परिणाम
कण कण में तेरा वास प्रभू
यही सुना है बचपन से
फिर भी इतना अंतर क्यूं
धनिक और ग़रीबों में
एक बात और देखी
कोई भी सुखी नहीं है
किसी न किसी उलझन में
फंसा है जूझ रहा है
क्या तुझको दया नहीं आती
क्यूं माँ बच्चों को भूखा सुलाती
अर्ध नग्न बच्चे बेचारे
ऋतुओं के जुल्म सहते जाते
जो मर्मान्तक पीड़ा झेल न पाते
दुनिया से कूच कर जाते
अनैतिक व्यापार जहां भी होता
तू कैसे अनदेखी करता
कोई राह नहीं सुझाता
पत्थर दिल तेरा नहीं पसीजता
यह आखिर कब तक चलेगा
क्या दया भाव तुझमें उपजेगा
कोई  तो राह निकाल प्रभू
थोड़ा सा कर उपकार प्रभू |

20 मई, 2015

कूप मंडूक


 kue ka mendhak के लिए चित्र परिणाम
कूपमंडूक
वहीं रहना चाहें 
बाहर नहीं
जल बरसा
नदीनाले न जाऊं
भय लगता |

जल नीला सा
सरोवर झील का
मन हरता |
गर्मीं के दिन
पोखर में नहाना
ठंडक देता |
आशा