31 अगस्त, 2015
30 अगस्त, 2015
27 अगस्त, 2015
राखियाँ
गली के उस पार
सजी राखियों की दूकान
एक नहीं अनेक राखियां
छोटी बड़ी अनेक राखियाँ
बहन की अरमां राखियाँ
रंगबिरंगी बहुरंगी राखियाँ
कलाई का सिंगार राखियाँ
सजने को तैयार राखियाँ
कलाई सूनी भाई की
राह देखती बहना की
स्नेह का बंधन अटूट
रक्षक सूत्र सदा अनमोल
ये कच्चे धागे की राखियाँ
मन मोहक सुभग सुन्दर
बहनों का दुलार मनुहार
भाई के वादों का उपहार
घेवर फैनी का अम्बार
आया रक्षाबंधन त्यौहार
अपूर्व चमक आनन पर होती
जब कलाई पर राखी होती
बहन दुआएं देती
है अदभुद यह त्यौहार
रस्मों कसमों का त्यौहार
रहता हर वर्ष इन्तजार
कब दूकान पर राखियाँ सजें
उनमें बहना का प्यार पले |
आशा
आशा
25 अगस्त, 2015
तुम्हारे बिना
सजी महफ़िल
गीत गुनगुनाए
इन्तजार हर पल रहा
पर तुम न आए
यदि एक झलक
तुम्हारी पाते
स्वर अधिक
मधुर हो जाते
महफ़िल में
रंग जमाते
लव प्यासे
न रह जाते
यूं ही महफ़िलें
सजती रहेंगी
बहारें आती रहेंगी
जाती रहेंगी
पर अधूरे रहेंगे
मेरे गीत
तुम्हारे बिना |
आशा
23 अगस्त, 2015
सदस्यता लें
संदेश (Atom)