मां ने देखी थी दुनिया
जानती थी है वहां क्या
तभी रोकाटोकी करती थी
पर बेटी थी अनजान|
उसे बहुत सदमा लगा
स्वप्न कहीं गुम हो गया
मुड़ कर पीछे ना देखा
आगे बढ़ने की चाहथी |
गलती उसकी थी इतनी सी
मां का कहना न मान सकी
तभी तो दलदल में फंसी
बरबादी से बच न सकी|
त्रुटि वही जिसका अहसास हो
जिसके लिए पश्च्याताप हो
अनजाने में हुई गलती त्रुटि नहीं
सुधर जाती है यदि स्वीकार्य हो|
यदि मां का कहा मन लेती
बातों की अनसुनी न करती
यह हाल उसका न होता
दलदल से बच निकलती |
दलदल से बच निकलती |
एक बड़ी सीख मिली
जिसने की अवहेलना
बड़ों की वर्जनाओं की
उसे सदा ही चोट लगी |
उसे सदा ही चोट लगी |
वही जिन्दगी में असफल रहा
उससे न्याय न कर पाया
उससे न्याय न कर पाया
आगे बढ़ना तो दूर रहा
दलदल में फंसता गया|
बेटा हो या बेटी हो
त्रुटि सुधार है आवश्यक
जिसने अनुभवों का लाभ उठाया
वही सहज भाव से रह पाया |
आशा