16 दिसंबर, 2015

त्रुटि सुधार कितना आवश्यक



मां ने देखी थी दुनिया
जानती थी है वहां क्या
तभी रोकाटोकी करती थी
पर बेटी थी अनजान|

उसे बहुत सदमा लगा
स्वप्न कहीं गुम हो गया
मुड़ कर पीछे ना देखा
आगे बढ़ने की चाहथी |


गलती उसकी थी इतनी सी
मां का कहना न मान  सकी
तभी तो दलदल में फंसी
बरबादी से बच न सकी|

त्रुटि वही जिसका अहसास हो
जिसके लिए पश्च्याताप हो
अनजाने में हुई गलती  त्रुटि नहीं 
सुधर जाती है यदि स्वीकार्य हो|

यदि मां का कहा मन लेती
 बातों की  अनसुनी न करती
यह हाल  उसका न होता 
दलदल से बच  निकलती |

एक बड़ी सीख मिली 
जिसने की अवहेलना
बड़ों की वर्जनाओं  की 
 उसे सदा ही चोट लगी |

वही जिन्दगी में असफल रहा
उससे न्याय न कर पाया
आगे बढ़ना तो दूर रहा
दलदल में फंसता गया|

बेटा हो या बेटी हो
त्रुटि सुधार है  आवश्यक 
जिसने अनुभवों का लाभ उठाया
वही सहज भाव से  रह पाया |

आशा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: