16 अक्तूबर, 2018
15 अक्तूबर, 2018
दशहरा
दशहरा मिलन
की बेला आई
बड़ा था बच्चों को
इंतज़ार इसका
नए कपडे,नए जूते
और मिठाई
पाने को था
बेकरार मन
सबसे बड़ा लालच था
रावण दहन
करने जाने का
वहां पहुँच
राम जी की सवारी
देखने का
दस शीश
क्या सच में
होते रावण के ?
हर बार यही प्रश्न
मन में उठता था
पर किसी के उत्तर से
न होती संतुष्टि
पर दशहरा मैदान जाने की
उत्सुकता कम न होती
रोजाना दिन गिन कर
कटते दिन |
आशा
14 अक्तूबर, 2018
मन चाहता
काली कजरारी
आँखें तेरी
गहराई उनमें
झील सी
झील सी
मनमोहक
अदाएं उनकी
अदाएं उनकी
उनमें डूब जाने
को
दिल होता
अधर तेरे
सुर्ख गुलाब से
दंतपंक्तियाँ
अनार सी
अधर चूमने का
मन होता
काली जुल्फों से
काली जुल्फों से
ढका मुख मंडल
प्यार दुलार से
बड़े जतन से
उन्हें सम्हालने को
उन्हें सम्हालने को
मन चाहता
मीठी मधुर
स्वर लहरी तेरी
सुनते रहने को
मन चाहता |
मीठी मधुर
स्वर लहरी तेरी
सुनते रहने को
मन चाहता |
आशा
10 अक्तूबर, 2018
उलझन
ज़िन्दगी की तंग गलियों में
पग धरते ही उलझने
ही उलझने
जब तब शूल सी चुभतीं
हैं
कर देती हैं लहूूलुुहान
पैरों को
छलनी तन मन को
एक समस्या हल न होती
दूसरी मुँँह फाड़ हो जाती उपस्थित
धीरे धीरे आदत हो जाती
उलझनों के साथ जीने की
बीच में गत्यावरोध अवश्य
सहन करने होते
कभी मन असंतुष्ट
होता
ऐसी क्या जिन्दगी
कभी प्रसन्न न
हो पाते
पर हिम्मत नहीं
हारते
समस्याओं का
कभी तो अंत होगा
कभी तो अंत होगा
रोज़-रोज़ की उलझनों से
छुटकारा मिलेगा |
आशा
छुटकारा मिलेगा |
आशा
07 अक्तूबर, 2018
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