किसी से कही मन की बात
सोचा मन हल्का हो जाएगा
और हँसी का पात्र बनी
लोगों ने पीछे से मजाक बनाया उसका|
यही बात जब जानी मन को संताप हुआ
अब सोचा किसी से कोई बात नहीं करेगी
सब को अपना नहीं समझेगी
यदि सच्चा मित्र बनाना हो कितना सोचेगी |
जितनी बार मित्र बनाया
हर बार ही धोखा खाया
पहले जांचेगी परखेगी
तब ही उस पर भरोसा करेगी |
यही एक बात सीखी है
उसने इस अनुभव से
अब वह भूल नहीं करेगी
जितना हो सके उसका
पहले परीक्षण करेगी |
जब उसमें यह सफल होगी
तभी आगे बढ़ने की सोचेगी
तब धोखा ना देगा देने वाला
यही एक वादा उसने खुद से किया |
अब बेफिक्र हो गई
किसी छलावे से
स्वविवेक का उपयोग करेगी
अब पीछे नहीं हटेगी |
आशा सक्सेना किसी की बंदिश सहना नहीं मंजूर उसे
यदि उसने सोच लिया
उसने सही मार्ग चुना है
वह सही राह पर चल रही |
जो मन में आया वही किया उसने
किसी के साथ ना चल पाई वहकिसी की बंदिश सहना
नहीं मंजूर उसे
यदि उसने सोच लिया
उसने सही मार्ग चुना है
वह सही राह पर चल रही |
जो मन में आया वही किया उसने
किसी के साथ ना चल पाई वह
ना ही अनुसरण कर पाई किसी का
यही जिद रही उसकी उस में ही खुश रही |
छोटा समझ की जिद पूरी
किसी ने ठीक से समझाया नहीं उसे
हर जिद्द पूरी की उसकी
मन-मौजी बना
दिया उसे |
जीवन की अच्छाई ने
मन मोजी बना दिया उसको भूले से नहीं स्वीकारा है
है यही सलाह मेरी