जिन्दगी जीने के लिए क्या चाहिये
क्या रोटी कपड़ा और मकान
चाहिए
इन साधनों से क्या होता है
केवल शरीर ही चल सकता है मन नहीं |
शरीर के अलावा कुछ और भी
होता है
नाम है जिसका मन
कोई रूप रंग नहीं उसका
यदि उसका ध्यान नहीं रखा
तब वह नाराज बना रहता |
उसकी भी संतुष्टि चहिये
उस हेतु यत्न करना होते हैं
जितनी आवश्यकताएं पूर्ण होगी
तभी सफल जीवन होगा
उतना ही मन प्रसन्न होगा
जीवन भर खुशियों के फूल खिलेंगे |
रोटी कपडे और मकान की जरूरत से भी
मुंह फेरा नहीं आ सकता
ये और मन की संतुष्टि दौनों हैं
आवश्यक सुखी जीवन के लिए
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आशा सक्सेना