जिदगी ने कितने रूप बदले
अपने अस्तित्व को सजाने के
लिए
अपने मन को उस जैसा बनाने के लिए
अपने अस्तित्व को सजाने के
लिए
अपने मन को उस जैसा बनाने
के लिए
जिसकी चाह रही कब से पूरी
करने के लिए |
बहुत ली सलाह भिन्न भिन्न
लोगों से ली
कभी किसी की नक़ल कर
पर जरासा सुकून भी न मिला
मन
मन का ताप कम न हो सका
अब किसी ने कहा अपने दिल की
सोचो
गहराई मैं उतरो
तभी कुछ फल हासिल कर पाओगे
है कठिन परीक्षा की घड़ी
कठिन परीखा फल को जब भोगोगे
मनको हिमत मिलेगी
सफलता कदम चूमेंगी
आशा सक्सेना