कान्हां तुमने कहाँ छिपाया
अदभुद वैभव का साया
मैंने पीछा करना चाहा
पर साया हाथ न आया
है यह कैसी माया
भेद मुझे क्यूं न बताया
पूजन अर्चन पूर्ण श्रद्धा से
पर तुम तक पहुँच न पाया
छप्पन भोग का नैवैध्य चढाया
माखन मिश्री लाया
मेरी कमियाँ मैं नहीं जानता
फिर भी दूरी उनसे चाहता
मुझे थोड़ी सी बुद्धि देते यदि
उनसे दूरी बना पाता
तुम्हारे समीप हो पाता |
आशा