बाई मेरे तुम्हारे बीच 
बड़ा पुराना रिश्ता था
पैसे से न तोला जिसे
 बच्चे तक लगाव  रखते थे तुमसे  
शायद तब शरीर सक्षम था मेरा  
मैं तुम पर आश्रित न थी 
जब भी कोई मेहमान आता 
तुम अपना फर्ज निभाती थीं 
पूरे मनोयोग से काम करतीं  
उनका दिल जीत ले जातीं थीं 
मैंने कभी न तुम से पूंछा
क्या तुमने उनसे पाया 
मैंने तो पूरी शिद्दत से 
अपना फर्ज निभाया 
जब जब तुमने छुट्टी चाही 
अवमानना न की तुम्हारी 
पर अचानक एक दिन
 तुम में बड़ा परिवर्तन आया 
तुम अधिक ही सचेत हो गईं 
अपने अधिकार रोज गिनातीं 
कर्तव्य अपने भूल गईं 
हर बात पर अपनी तुलना 
मुझसे करने लगीं
कर्तव्य और अधिकारों की खाई
अधिक गहरी होने लगी 
पर अब अधिकारों के गीत 
मुझे प्रभावित नहीं कर पाते 
मैं असलियत की तह  तक
 पहुँच गई
हूँ 
उम्र के इस पड़ाव पर 
निर्भरता जब से बढ़ी है 
तुम मुझ पर हावी हो गई हो 
अब भावनात्मक लगाव हुआ  गौण 
है प्रधान पैसा तुम्हारे लिए 
एक और बात मैंने देखी है
 तुम हो असंतुष्ट अपने जीवन से 
तभी उल्हाने तानेबाजी 
आएदिन होती रहती है 
है पैसा प्रधान तुम्हारे लिए 
संवेदना विहीन अब हो गई हो |
आशा 

 
 




 
 