23 दिसंबर, 2019

विकास शील देश

 
आए दिन की आगजनी
पत्थरबाजी और तोड़ फोड़
है किसकी सलाह पर
कोई आगे पीछे नहीं देखता
ना ही सोच उभर कर आता
इससे क्या लाभ मिलेगा ?
क्या होगा लाभ जन धन हानि का ?
नेता लोग  अपनी अपनी रोटी सेक रहे 
सामान्यजन को क्या होगा लाभ 
कोई नहीं सोचता इस पर
क्या देश ऐसे ही आगे बढेगा
नया भारत ऐसे तो नहीं सम्हलेगा
कैसे  प्रगतिशील कहलाएगा |
केवल विरोध  से कोई हल न निकलेगा
इसके लिए प्रयत्न सभी को करने होंगे
क्या केवल सरकार ही कुछ करे ?
आम जनता का कोई दाइत्व नहीं
यही भूल सदा करते आए
अब तक खुद के अन्दर झाँक नहीं पाए |
तभी तो किसी न किसी बात पर
बबाल  होता रहता है
ज़रा सी  हालत सुधर जाने पर
कोई नया मुद्दा जन्म ले लेता है |
आशा

22 दिसंबर, 2019

अपेक्षा तुमसे





है दर्पण के समक्ष यह कौन
तुम  या तुम्हारी  प्रतिछाया
हो  मौन क्यों ?उदास क्यूँ ?
खिल खिलाती नहीं
 बतियाती नहीं
क्या विपदा आन पडी है
क्यूँ उत्तर नहीं देती ?
मैं कोई गैर तो नहीं
हूँ हमराज  हमदम तुम्हारा
मुझसे यह दूरी किस लिए ?
इतना भेदभाव किसके लिए
कभी तो मुखर हुआ करो
कुछ  अपनी कहो
कुछ मेरी भी सूना करो
केवल यही अपेक्षा हैं तुमसे
मन में भेद न पाला करो
मैं कोई गैर नहीं हूँ
मुझसे सुखदुख बांटा करो
थोड़ी सी है जिन्दगी
 यूँही इसे व्यर्थ  जाया न करो
कोई  समझे या न समझे 
पर  मैं तुम्हें समझ गया हूँ
मुझसे यह भेदभाव क्या सही है
तुम्ही अब फैसला करो |

आशा