आए दिन की आगजनी
पत्थरबाजी और तोड़ फोड़
है किसकी सलाह पर
कोई आगे पीछे नहीं देखता
ना ही सोच उभर कर आता
इससे क्या लाभ मिलेगा ?
क्या होगा लाभ जन धन हानि का ?
नेता लोग अपनी अपनी रोटी सेक रहे
सामान्यजन को क्या होगा लाभ
कोई नहीं सोचता इस पर
नेता लोग अपनी अपनी रोटी सेक रहे
सामान्यजन को क्या होगा लाभ
कोई नहीं सोचता इस पर
क्या देश ऐसे ही आगे बढेगा
नया भारत ऐसे तो नहीं सम्हलेगा
कैसे प्रगतिशील कहलाएगा |
केवल विरोध से कोई हल न निकलेगा
इसके लिए प्रयत्न सभी को करने होंगे
क्या केवल सरकार ही कुछ करे ?
आम जनता का कोई दाइत्व नहीं
यही भूल सदा करते आए
अब तक खुद के अन्दर झाँक नहीं पाए |
तभी तो किसी न किसी बात पर
बबाल होता रहता है
ज़रा सी हालत सुधर जाने पर
कोई नया मुद्दा जन्म ले लेता है |
आशा