22 मार्च, 2024

तुम्हारी सालगिरह पर शुभ कामनाएं

 आज मेरे सपनों नें

तुम्हें  देखा सुबह ही

बहुत से विचारों में

 खो गई  तुम्हारे बचपन की यादों में   |

 दिए बिना बचपन की यादें 

तुम कब बड़ी होईं 

समय कब बीता 

 मुझे चिंता सी हो गई

 कल उसको भी बहुत उदास देखा   

और  बहुत दिखी कमजोर सी 

मुझे लगा बहुत खाली  घर

 याद आई तुम्हारी बचपने की   

खाली घर बिना बच्चों के 

कितना खाली तुम्हारे  बिना |

प्रभू से की प्रार्थना दिल पूरे मन से 

 ईश्वर करे तुम्हें  मेरी भी 

 उम्र लग जाए 

हर वर्ष ऐसे ही

 जन्म दिन तुम्हरा मनाएं |

आशा सक्सेना 

21 मार्च, 2024

आसपास राम ही राम

 हाँ वहां आसपास चारो ओर

 वातावरण हुआ राम मय

दिन में राम रात को राम 

 सोते जागते राम सपनों में राम

राम में खो गई और न दीखता कोई |

माया छुटी मोह से हुई दूर

 केवल ममता रही शेष 

वह भी होने लगी दूर मुझ से

अपने आपमें रमती गई

दुनियादारी से हुई दूर

केवल राम के रंग में रंगी |

जब दुनिया कहे भला बुरा मुझे 

इसका कोई प्रभाव नहीं होता 

मुझे एक ही चिंता बनी रहती केवल

राम से दूरी न होय |

जागूं तो राम मिले

सोते में विचार मन में राम का होय

जब देखूं सारे दिन आसपास

राम राम दिखता रहे

सारा जग राम मय हो जाए |

आ राम मय




आशा सक्सेना