21 मार्च, 2024

आसपास राम ही राम

 हाँ वहां आसपास चारो ओर

 वातावरण हुआ राम मय

दिन में राम रात को राम 

 सोते जागते राम सपनों में राम

राम में खो गई और न दीखता कोई |

माया छुटी मोह से हुई दूर

 केवल ममता रही शेष 

वह भी होने लगी दूर मुझ से

अपने आपमें रमती गई

दुनियादारी से हुई दूर

केवल राम के रंग में रंगी |

जब दुनिया कहे भला बुरा मुझे 

इसका कोई प्रभाव नहीं होता 

मुझे एक ही चिंता बनी रहती केवल

राम से दूरी न होय |

जागूं तो राम मिले

सोते में विचार मन में राम का होय

जब देखूं सारे दिन आसपास

राम राम दिखता रहे

सारा जग राम मय हो जाए |

आ राम मय




आशा सक्सेना 

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