26 जून, 2014

आसार सूखे का





किया कैसा क्रूर मजाक
प्रकृति ने मानव के संग
दिखाई झलक बादलों की
फिर उन्हें बापिस बुला लिया
एक बूँद भी जल की न टपकी
आशा निराशा में बदली
ऐसा आखिर क्यूं किया
किस बात की सजा है यह
यह तक स्पष्ट नहीं किया
गर्मी की अति हो गई
त्राहि त्राहि मच रही
पूजा पाठ दुआ प्रार्थना
किसी का असर नहीं  हुआ
यह कैसा मजाक किया |




24 जून, 2014

अविरल धारा



अविरल धारा नदिया की
दे रही सन्देश यही
जीवन उस जैसा हो
ना बाधाओं ने घेरा हो |
झर झर झरता झरना
पर्वत से नीचे आता
तनिक भी भयभीत नहीं
जिंदगी नहीं उस जैसी
पर सभी लगते सपने से
जीवन ऐसा गतिमान नहीं
बाधित होता रहता
उतार चढ़ाव से भरा रहता  |
चंद लोग ही होते ऐसे
जो हर बाधा पार करते
कोई पत्थर ऐसा नहीं
जिसे नहीं हटा पाते |
व्यवधान अंतराल बाधाएं
जीवन मार्ग कठिन करते
जब पार उन्हें कर लेते
सम्रद्ध होने का श्रेय लेते |
भ्रम से भ्रमित नहीं होते
समय का दामन थामे 
अग्रसर होते जाते
सफलता की कुंजी पाते  |
आशा

हईगा वर्षा पर





23 जून, 2014

चित्र क्षणिका

बर्फ कीचादर बिछी है 
जलधारा ने दो टूक किया 
पर दिल नहीं बट पाए 
जितने भी यत्न किये |


प्यार जताता
भोला सा बचपन
चतुष्पद से |


दीपक जला
स्नेह सिक्त वर्तिका
तिमिर छटा |
आशा

21 जून, 2014

मेध अषाढ़ का



















विरही मन
देख काली घटाएं
हुआ बेकल
अश्रुओं की वर्षा करता
जल प्लावन का
 सन्देश दे रहा 
मेघ अषाढ़ का
वाहक संदेशों का
उमढ़ घुमड़ आया
बरखा रानी ने दी दस्तक
पाती प्रिय की  लाया |
झोंका पवन का
झझकोरता मन
मिट्टी की सौंधी सुगंध
दूर तक ले जाता
समूचा हिला जाता |
मेघ गरजता
रिमझिम  बरसता
गर्म मिजाज मौसम भी
नर्म हुआ जाता |
आशा

20 जून, 2014

कुंजी खुशहाली की







भविष्य का क्या ठिकाना
होगा क्या पता नहीं
बीता कल भी फिर से
नहीं लौट पाएगा
जिसके बल खुद को भुलाएं
सच्चाई तो यही है
खुशहाल जीवन की कुंजी
वर्तमान में ही है |
फिर क्यूं न वर्तमान में जी लें
खुशी  झलकती चहरे से
उसी से संतुष्ट होलें
सुख दुःख का आकलन करलें |
आशा