28 जुलाई, 2015

नमन तुम्हें कलाम


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श्री ए. पी. जे .अब्दुल कलाम को शत शत नमन :-
ऊंची उड़ान
खुला आसमान
तुम्हें  सलाम |

एक स्वप्न सजाया तुमने
युवा शक्ति की आँखों में
जो कार्य भारत के लिए किया
सदा याद किया जाएगा
तुम्हारा नाम आते ही
गर्व से सर उन्नत होगा
दिया जो सन्देश तुमने
अमर तुम्हें कर जाएगा
शत शत नमन तुम्हें कलाम
हमें है अभिमान तुम पर
भारत माता के सपूत
विज्ञान की दुनिया में सदा
तुम्हें याद किया जाएगा |
आशा

27 जुलाई, 2015

कौन असली हकदार

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चहरे पर देख अभाव
आँखें रीती भाव विहीन
छेड़ गईं मन के तार
उदासी का कोई हल तो निकाल | 
कंचन काया मृतप्राय सी 
आया देन्य  भाव चहरे पर 
दीनता की अभिव्यक्ति 
मन में  चुभती  शूल सी |
दिल ने कहा सहायता कर 
पर दिमाग ने झझकोरा
 सोचना दूभर हुआ 
कहीं यह दिखावा तो नहीं ?
उलझन बढ़ने लगी 
करवटें बदलने लगी
क्या सच में है आवश्यक 
उसकी सहायता करना |
हो रहा है कठिन 
सत्य तक पहुँच पाना 
है यह आवश्यकता उसकी 
या तरकीब संवेदना पाने  की |
किसे सच्चा हकदार समझुँ
उपयुक्त समझूं सहायतार्थ 
जज्बातों  में बह कर
 यूँ ही  न  ठगी जाऊं |
जब भी भावुकता जागी 
बेरहमीं से ठगी गई 
अब विश्वास नहीं होता 
है कौन असली  हकदार
या कोई ठग  दरिद्र के भेष में |
आशा






26 जुलाई, 2015

प्यासी निगाहें

 
प्यार की प्यासी निगाहें 
तृप्त होना चाहिए 
ख्यालों में बसी अदाएं 
स्पष्ट होना चाहिए |
इज़हार प्यार का 
रंगीन होना  चाहिए 
है आज वर्षा का मौसम 
वर्षा होनी चाहिए |
जब प्रीत की बरसात होगी 
तन मन भीगेगा उसमें 
हमसफ़र हमराज होगा 
समाधान कठिन न होगा |
तभी सभी प्रश्नों के उत्तर 
हल करना सहज होंगे 
 सारे के सारे  उत्तर 
सुन्दर सरल सटीक होंगे |

आशा


24 जुलाई, 2015

कैसा न्याय

है यह कैसा न्याय प्रभू 
धनिक  फलता फूलता 
गरीब और गरीब हो जाता
 अपनी बेबसी पर रोता |
भोजन का अभाव सदा 
भूखा उठाता भूखा सुलाता 
अन्न के अभाव में 
वह जर्जर होता जाता |
अमीर कद्र न जानता 
पेट भरा होने पर
 अनादर अन्न का करता
घूरे तक पर फैकता |
आया हूँ तेरे द्वार आज 
न्याय की अपेक्षा है 
खाली हाथ न लौटाना 
होगा तेरा उपकार प्रभू |
भूखे को भोजन देना 
अपना संरक्षण देना 
प्यार की सौहाद्र की 
उपेक्षा न होने देना |
अमीर गरीब के मध्य 
खाई बढ़ न जाए
सौहाद्र बनाए रखना 
 सम दृष्टि सभी पर  रखना |
आशा