18 अप्रैल, 2016

आज है यह हाल कल न जाने क्या होगा


आज है यह हाल
कल न जाने क्या होगा
प्यासी धरती है
सूखे हैं ताल तलैया
जीवन हुआ बेहाल
बूँद बूँद जल का
रखना पड़ता है हिसाब
आज है यह हाल
कल न जाने या होगा
ह्रदय हुआ विदीर्ण धरा का
दरारें दीखतीं यहाँ वहाँ
थलचर जलचर
हैं परेशान हाल
बहुतों ने त्यागे प्राण
जल के बिना
सारी फसल चौपट हो गई
वर्षा के अभाव में
रिक्त पड़े खलियान आज
कल न जाने क्या होगा
वन में हरियाली तिरोहित हुई
पीले पत्तों का है अम्बार
अल्प वर्षा अत्यधिक विदोहन
कर रहा बेहाल
सारी समस्या
मानवजन्य या प्राकृतिक
है तो समस्या ही
आज है यह हाल तो
कल न जाने क्या होगा
तभी तो आवश्यकता है
बूँद बूँद जल संचय की
तभी कल सवर पाएगा
कष्टों का अम्बार न होगा |
आशा

16 अप्रैल, 2016

गागर


·

१-
कुए की ओर
गागर धर शीश
गोरिया चली |
२-
ठंडा जल है
हो गई आत्मा तृप्त
मटका धन्य |
३-
रोचक शैली
गागर में सागर
अच्छी लगती |
४-
रेशम डोर
चांदी के कलश हैं
उठ न पाएं |
५-
तपती धूप
मटका रीत गया
भरती कैसे |
आशा


13 अप्रैल, 2016

शिकायत

है शिकायत के लिए चित्र परिणाम
ए तकदीर मेरी 
है मुझे शिकायत तुमसे 
क्यूं असफल सदा रहता हूँ 
उसका बोझ लिए फिरता हूँ 
भाग्य मेरा नहीं चेतता
सुख से दूर मुझे करता 
हूँ बाध्य सोचने को 
ऐसा क्या गलत किया मैंने 
जो प्रतिफल भोग रहा हूँ 
सारे यत्न व्यर्थ हो गए 
मर मर कर जी रहा हूँ 
व्यथित हूँ अकारथ हूँ 
पृथ्वी पर भार हो गया हूँ 
अपना गम किससे बांटूं 
सोच हुआ है कुंद 
तकदीर मेरी
 तुम कब जागोगी 
कब तक आखिर
 सुप्त रहोगी 
यदि यही हाल रहा
 होगा अकारथ जीवन मेरा 
तुम्हीं बताओ मैं क्या करू
और कितनी परीक्षा लोगी |
मेरी  कठिनाई दूर करोगी
आशा

12 अप्रैल, 2016

चांदनी


 चाँद और चांदनी के लिए चित्र परिणाम

हूँ रौशनी तुम्हारी
मेरा अस्तित्व नहीं तुम्हारे  बिना
तुम चाँद मै चांदनी
यही जानती सारी दुनिया
प्रारंभ से आज तक
तुम मुझमें ऐसे समाए
अलग कभी ना हो पाए
साथ हमारा है सदियों पुराना
तुम जानते हो मै जानती हूँ
है यही एक सच्चाई
हमें जुदा करने के
 समस्त यत्न असफल रहे
तारे टिमटिमाते रहते
काली अंधेरी रात में
होने लगते धूमिल से
जब हम से मिलते
खिड़की से झांकता बालक
बहुत गौर से तुम्हें देखता
चौदह कलाएं देख तुम्हारी
प्रश्न तुम्ही से करता
तुम हर दिन तिल तिल बढ़ते हो
पूर्ण रूप धारण करते हो
तुमसे ही यह कैसी उजास
हूँ तुम्हारी पूरक
सारी धरा दूधिया होजाती
जब पूरणमासी आती
तुम अटखेलियाँ करते
जल की उत्तंग तरंगों से
मैं भी साथ तुम्हारा देती
पीछे न रहती
यही बात मन में रहती
है यह रिश्ता बहुत पुराना
जैसा है वैसा ही रहे
  तुमसे अलग न होने दे |
आशा

08 अप्रैल, 2016

हाईकू एक बानगी

हरियाली के लिए चित्र परिणाम
ये कैसे रिश्ते 
राह चलते बने 
हरियाली से |
 नारी सबल के लिए चित्र परिणाम
नारी सवल 
अवला न समझो 
है आधुनिका |

वह सक्षम
निर्भय व साहसी
कमतर  हहीं |
pustak se pyaar के लिए चित्र परिणाम 
थी उदास मैं 
की पुस्तकों से यारी 
उदासी दूर |
पैरों की पायल के लिए चित्र परिणाम
तेरी चाहत
बनी पैरों कीबेड़ी
बढ़ने न दे |

आशा










05 अप्रैल, 2016

आशा

आशा के लिए चित्र परिणाम

तुम क्या जानो
है आशा क्या ?
है उसका महत्त्व क्या ?
कभी सोच कर देखना
हो अधूरे आशा बिना
जहां कहीं उससे मिलोगे
उसी पर खरे उतरोगे
जग में जाने जाओगे
आशावान कहलाओगे
लोग तुम्हें सराहेंगे
सब के प्रिय हो जाओगे
आशा की आभा चहरे पर
अद्भुद प्रभाव छोड़ेगी
वही आभा दूर तक
साथ तुम्हारा देगी
कण कण से प्रसन्नता मिलेगी
संतुष्टि सदा मिलेगी
जिसने आशा को जाना
उसे आत्मसात किया
वही सफल रहा
पूर्ण सुखी जीवन जिया |
आशा


04 अप्रैल, 2016

किताब


है वह पृष्ठ एक किताब का 
यूँही नहीं खोला गया
एक अक्षर भी न पढ़ा 
व्यर्थ समय गवाया गया
क्यूं वह आज तक खुला है 
किस की प्रतीक्षा है ?
ऐसा क्या लिखा है उसमें
 जिसे कभी ना पढ़ा गया |
पढ़ना पढ़ाना कोई 
बच्चों का खेल नहीं 
समय बहुत देना पड़ता है 
पढ़ा हुआ गुनने में 
खुली रही यदि किताब 
खोने लगती अपनी आव
क्या होगा हश्र उसका जब
 खुला हुआ  पन्ना बेचारा
 स्याही में नहा लेगा 
या दाल का सेवन करेगा 
जो भी उसपर लिखा गया था 
अस्पष्ट इतना होगा 
कि पढ़ना तक असंभव होगा 
प्रतीक्षा उसे ही रहती है 
कोई तो उपाय हो 
कि उस पर दृष्टि पड़े  
कोई ऐसा पारखी हो 
बिना पढ़े ही उसे गुने 
किताब की सार्थकता
 तभी  हुआ करती है जब
पन्ना पन्ना पढ़ा जाए 
रसास्वादन उसका 
पूरा पूरा किया जाए 
आधी अधूरी न रहे 
तभी पढ़ना होता  सार्थक 
अर्थ का  जब हो  न अनर्थ|

आशा