08 फ़रवरी, 2018
31 जनवरी, 2018
कुनकुनी धूप
सर्दी का मौसम
लगता बड़ा प्यारा
लगता बड़ा प्यारा
इसी प्रलोभन ने
मुझे मारा
मुझे मारा
कुनकुनी धूप
और हलकी सी सर्दी
और हलकी सी सर्दी
मन न हो
घर का आँगन
छोड़ने का
घर का आँगन
छोड़ने का
वहाँ बैठना
और बुनाई करना
और बुनाई करना
जो कभी शौक
रहा करता था
रहा करता था
अब हुआ दूर मुझसे
मजबूरी में
मजबूरी में
बहुत खलने लगा है
अब मुझको
अब मुझको
पर किससे अपनी
व्यथा साझा करूँ
कोई नहीं मिलता
अपना सा मुझे
व्यथा साझा करूँ
कोई नहीं मिलता
अपना सा मुझे
मन मार कर
रह जाती हूँ
रह जाती हूँ
कोई नहीं जो
मदद कर पाए |
मदद कर पाए |
आशा
28 जनवरी, 2018
क्षणिकाएं
तुमसे लगाया नेह अनूठा
अपना आपा खो बैठी
आकांक्षा मन में रही
अपना आपा खो बैठी
आकांक्षा मन में रही
कान्हां तुम मेरे हो
मुझ में हो बस मेरे ही रहो |
आतुर नयन तेरे दर्शन को
कर्ण मधुर ध्वनि सुनने को
दीपक जलाया ध्यान लगाया
कब मनोरथ पूर्ण हो |
आपसी तालमेल देखा आज हुए सम्मलेन में
छिपी हुई प्रतिभा दिखी छोटे बड़े हर वर्ग में
है यहाँ अपनापन भाईचारा ना कि कोई दिखावा
मन होने लगा अनंग इस पर्व में |
आँखें नम हो रही हैं यह सब तो होता ही रहता है
बहुत कीमती हैं ये आंसू जिन्हें बहाना है मना
ये बचाएं शहीदों के लिए उन पर ही लुटाना
कतरा कतरा अश्रुओं का है अनमोल खजाना |
खिडकी से भीतर झांकती
आपसी तालमेल देखा आज हुए सम्मलेन में
छिपी हुई प्रतिभा दिखी छोटे बड़े हर वर्ग में
है यहाँ अपनापन भाईचारा ना कि कोई दिखावा
मन होने लगा अनंग इस पर्व में |
आँखें नम हो रही हैं यह सब तो होता ही रहता है
बहुत कीमती हैं ये आंसू जिन्हें बहाना है मना
ये बचाएं शहीदों के लिए उन पर ही लुटाना
कतरा कतरा अश्रुओं का है अनमोल खजाना |
खिडकी से भीतर झांकती
यह मेरा नहीं है ना ही कभी होगा
यह कमरा है उसका उसी का रहेगा
आशा
27 जनवरी, 2018
कतरनें
सात रगों से सजी
सृष्टि हमारी
२-हरी धरती
नीला है आसमान
अद्भुत संगम
3-विभिन्न रंग
दिखाते सौन्दर्य का
संजोग होता
4-सात रंगों की
छटा निराली होती
किसी कृति की
५-शिक्षित बेटी
सँवारे परिवार
लाए समृद्धि
६ -सुर न ताल
है केवल धमाल
कर्ण कटु है
७-लगाएं पौधे
हरियाली बढ़ती
मन मोहती
८-सत्य की खोज
कहाँ है असंभव
भक्तों के लिए
९-कहीं न मिले
धरा और गगन
दीखते साथ
१०-सूखी पहाड़ी
छोटी सी है तलैया
घन गरजे
11-उमंग भरी
है मन की साधना
सबसे खरी
आशा
सृष्टि हमारी
२-हरी धरती
नीला है आसमान
अद्भुत संगम
3-विभिन्न रंग
दिखाते सौन्दर्य का
संजोग होता
4-सात रंगों की
छटा निराली होती
किसी कृति की
५-शिक्षित बेटी
सँवारे परिवार
लाए समृद्धि
६ -सुर न ताल
है केवल धमाल
कर्ण कटु है
७-लगाएं पौधे
हरियाली बढ़ती
मन मोहती
८-सत्य की खोज
कहाँ है असंभव
भक्तों के लिए
९-कहीं न मिले
धरा और गगन
दीखते साथ
१०-सूखी पहाड़ी
छोटी सी है तलैया
घन गरजे
11-उमंग भरी
है मन की साधना
सबसे खरी
आशा
24 जनवरी, 2018
मैं भीग भीग जाती हूँ
बिना मौसम बरसात के
जब बादल छा जाते हैं
जब भी फुहार आती है
मैं भीग भीग जाती हूँ
मन से भी तन से भी
कितना भी ख्याल रखूं
बच नहीं पाती
जाने कहाँ से विचार आते हैं
मन से टकरा कर चले जाते हैं
न जाने क्यों बैर है मुझसे
न आने की खबर देते हैं
न जाने की सूचना
बस मन की वीणा के
तार छेड़ जाते हैं |
आशा
आशा
22 जनवरी, 2018
वसंत पंचमीं
वसंत ऋतू के आगमन ने
किया आग़ाज
अपने आने का
चुराई मौसम से कुछ ऊर्जा
सुहाना उसे बनाने के लिए
है आज वसंत पंचमी
धरती पीली हुई
पीले पुष्पों से सजी
हे वाग देवी सरस्वती
तेरे स्वागत में
बच्चों ने पीत वसन
धारण किये
मीठे चावल बनाया
भोग के लिए
देना झोली भर
विद्या का दान
आशीष भरा हाथ
सर पर सदा रखना
मां सरस्वती तुम्हें
शत शत नमन |
आशा
20 जनवरी, 2018
सागर का जल खारा
सागर का जल खारा
पर वह इससे भी न हारा
सोचा क्यूँ न इसीसे
प्यास बुझा ली जाए
पहुँचा तट पर
जल पीने को
जल पीने को
जैसे ही अंजुली भरी
मुँह तक उसे ले कर आया
पर एक बूँद भी ना पी पाया
बहुत ही खारा उसे पाया
एक विचार मन में आया
क्या फायदा ऐसे जल का
जब प्यासे को पानी न मिले
हुआ बहुत उदास
फिर सोचा कितने ही
फिर सोचा कितने ही
जीव जंतुओं का घर है यहाँ
उसे जल न मिला तो क्या
जलचरों को मिलता खाना
रहने को घर यहाँ
है बहुत महत्व इसका
वर्षा का स्रोत है यह
बादल जल पाते हैं इससे
पर्यावरण संतुलित होता जिससे |
आशा
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