23 सितंबर, 2018

प्यास


तृष्णा न गई
प्यासा रहा मन भी
ये कैसी सजा 

प्यासा है तन 
मन भी तरसे है 
जल के बिना 

तृष्णा बढ़ती 
बिना नियंत्रण के 
 चित अशांत 

नमन तुम्हें 
हो गजानन मेरे 
गणपति जी 

अनाम नाम 
मन पर छाया है
प्रभु की माया 


आशा


21 सितंबर, 2018

मजबूरी




बचपन खेल रहा है
बचपन की गोद में
 नव वस्त्र  धारण किये है
पुराने उतरन समझ कर
दे दिए है दान में |
पर तुझे तो यही
नियामत लगते है
तन तो ढक  जाता है
बचाव हो जाता  है इनसे
 मौसम की मार से |
पेट तो भर ही जाता है
दिए गए टुकड़ों से |
पर क्या करें मजबूती है
मजदूरी भी जरूरी है
धर चलाने के लिए
मन पर नियंत्रण रख
सभी कुछ सहना पड़ता है
बाह री तकदीर
किससे शिकायत करें |

आशा