27 फ़रवरी, 2020

जीवन का सफर







जब दुनिया में आया
मैं गला फाड़ कर रोया
जगत हंसा खुशियाँ मनी
थाली बजी मिठाई बटी |
बचपन खेल कूद में बीता
पढ़ना लिखना सीखा
जब हुआ युवा गंभीरता आई
जिम्मेदारी खूब निभाई |
वानप्रस्थ आते ही
भविष्य की चिंता सताई
उम्र पूरी होने को आई
जाने कब बुलावा आ जाए |
सुबह एक दिन जागा नहीं
 ऐसी गहरी नींद में सोया
मुझे हिलाया डुलाया
पर हिल् तक न पाया |
अपने पराए करने लगे रुदन
बिस्तर छोड़ जमीन पर लिटाया
चार बांस की ठठरी  पर लिटा
मुक्ति धाम तक पहुंचाया |
अंतिम विदाई की बेला में
चिता पर आसीन किया
घृत से पूरा नहलाया
चिता को भी खूब सजाया |
जब अग्निसंस्कार हुआ
धूं धूं कर जल उठी चिता 
पञ्च तत्व से बना शरीर
उसमें ही जा मिला |
अकेला  ही आया था
अब अकेले ही जाना है
 दुनिया की है रीत यहीं सब छूटे
मेरा तेरा कोई नहीं इसे ही निभाना है |
आशा   

26 फ़रवरी, 2020

आकांक्षा




था गर्ब मुझे अपने कृतित्व पर    
कभी सोचा न था असफलता हाथ लगेगी
आशाओं  को तार तार करेगी
हार से  दो चार हाथ होंगे |
मनोबल टूट कर  बिखर जाएगा
 सुनामी का कहर आएगा
नयनों का जल अविराम बहता जाएगा |
पर अचानक अश्रु थम गए
मन में कहीं दृढता जागी
मन को एकाग्र किया
अपनी गलतियों का मंथन किया |
तभी  सही मार्ग दिखाई दिया
 सफलता पाने का अवसर पाया
पीछे कदम न लौटेंगे अब
 दृढ संकल्प मन में किया |
दिन रात की महानत रंग लाई
आशा की किरण नजर आई
आगे  बढे कदम फिर लौट न पाए
 फल मीठा पास आने लगा  |
हुई  प्रसन्न  सफलता पाने से
आकांक्षा बढ़ी तीव्र गति से
और और की इच्छा जागी
सही मार्ग चुनने से |
 जूनून  सफलता का ऐसा चढ़ा  
 नया कुछ  करने का जोश जगा
छोड़ कर आलस्य हुई  सक्रीय फिर से
विश्वास भरे मन से |
 दृढ निश्चय लगन आशा अभिलाषा
 प्रवल आकांक्षा की सीडी चढ़ कर
सही मार्ग चुन कर हारी नहीं  
परचम फैलाया अपनी सफलता पर  |
आशा