01 नवंबर, 2023

आज करवा चौथ है

 

       आज करवाचौथ  है |

बिना जल के कठिनाई से

शाम का समय निकलता

 बहुत मुश्किल   से |

कुछ समय  तो

गृह कार्य  में निकल जाता

कुछ पूजा में

कुछ चाँद निकलने के बाद |

चाँद कभी समय पर उदय हो जाता

कभी बहुत इंतज़ार  करवाता

टाइम होते ही बच्चे ऊपर छत पर जाते

चंद्रोदय की  सूचना देते |

पूजा की थाली जल्दी से ले कर

छत पर आ दर्शन करती

छलनी में मुंह देख पिया का

पूजन पूरा करती |

आशा सक्सेना

31 अक्तूबर, 2023

ख्याल मन का

 

यह ख्याल है या मलाल मन का

जीवन का कुछ उधार है

ना जाने क्यों खुशी आती है

और गुम हो जाती है पल में |

पल भर की खुशी टिक कर रह नहीं पाती

यदि आजाए किसी को सहन ना हो पाती

मन को गहरे घाव दे जाती पर

मैं असहाय सी देखती रह जाती |

कभी खुद पर बहुत क्रोध आता है

कभी अपनी कमजोरी पर तरस आ जाता है

जानने  लगी हूँ असफल रही

जीवन में आगे बढ़ने को |

पर खिली खिली ना रह पाई

रही आधी अधूरी जीवन भार सा

पर मेरे हाथ में क्या रहा

अब तक जान नहीं पाई |

यही सिखाया मुझे किसी के व्यवहार ने

अब वही गलती मेरे  हाथों से न होगी

सब से मिलजुल कर रहूंगी

किसी से बहस ना करूंगी |


30 अक्तूबर, 2023

विवाह हुआ संपन्न


आज का दिन खुशियों से भरा था

आज जीवन को कुछअलग सा हुआ अहसास

कितने लोग पहले से आऐ था

आज शाम के कार्यक्रम की प्रतीक्ष में

सभी बड़े प्रसन्न थे

गीत गा रहे ढोलक की थाप पर

दोपहर को समाचार आया

व्यस्तता अधिक बढी

गौधुली बेला  में  पंडित जी आए थे भोपाल  से  

गुडिया की तरह सजाई गई दुलहन

मन्त्रों की छाँव में विवाह सम्पन्न हुआ

जीवन की कठिनाइयों का आभास तक ना हुआ 

जिन्दगी रंगीन दिखाई दी 

 जीवन की नवीन विधा में प्रवेश किया

ईश्वर के हाथों जीवन सोंप दिया

आशा सक्सेना 


29 अक्तूबर, 2023

हाइकू

 १-हरियाली है 

हरी भरी है धरा  

बदला रंग 


२-पर्यावरन 

किसने बिगाड़ा है 

क्या मनुष्य ने 


३-प्रकृति ने भी 

भाग लिया उसमें 

मौसम  बीता 


४-किसने भेजी 

  हरियाली यहाँ है 

चारो तरफ 


५-जब  नहाया 

इस सरोवर में 

हुआ प्रसन्न 


६-सरोवर में 

चांदनी बिछी हुई 

भली लगती 


आशा सक्सेना 



जीवन चक्र

 


जब दुनिया में हम आए,

 रोना बहुत आया था

जब धरती पर कदम रखा 

पर अन्य सब हुए प्रसन्न

ढोलक पर सोहर गाई गई

 नेग बाटे गए 

मिठाई बाटी गई

पर यह भूल गए जीवन है कितना कठिन

यह प्रसन्नता सब की है

 कुछ समय की

बचपन बीता मालूम ना पडा

रोना गाना सब चला 

किशोरावस्था  कब बीती ,

याद नहीं मुझको

यौवन में कदम रखते ही

जीवन की कठिनाई  दिखी 

अपने चारों ओर

कैसे इससे निजात पाएं .

.जीवन को सरल बनापाएं

दिखा बहुत कठिन

 कितनी सलाह मिलीं

पर सब की समस्या

 एक समान  नहीं होतीं

तब प्रभु का आश्रय लिया,

 इस जीवन से मुक्ति के लिए

अब मैंने सब को रोता पाया .

खुद हुआ प्रसन्न 

मुक्ति मार्ग पर जाकर  कर  |

आशा सक्सेना

जंगल में जुगनू

कालीअंधेरी रात में 

हम घूम रहे नजारा देख रहे 

बहुत सुन्दर दिखाई देता  

जुगनुओं  का उड़ना यहाँ वहां |

उनकी मंद मंद चमकती दिखाई देती 

उड़ने की प्रतिभा 

यही आकर्षण होता

उनके  जंगल में विचरण का |

जबआसमान में 

 तारे चमकते 

जूगनू भी साथ  देते 

रौशनी बढ़ा देते जंगल में  |

आशा सक्सेना 















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28 अक्तूबर, 2023

कोशिश हमारी

 जब साथ चले हम कदम हुए 

पर हम साया कभी न बन पाए 

अधिक दूर न चल पाए 

मन को खुशी ना मिल पाई |

यही रही अधूरी मन में बात 

कोशिश की हम ख्याल होने की 

उसमें भी सफल ना हो पाए 

कभी सोच नही पाए उसी की तरह |

हर बार अलग सब से नजर आए 

क्या कभी किसी के हमराज हो पाएंगे 

अपने को किसी से बांधेंगे 

उसके अनुरूप चल पाएँगे |

बार बार दिल को टीस सहने की 

आदत हो जाएगी 

पर इससे कैसे बचेंगे 

हमारी सारी कोशिश व्यर्थ हो जाएगी |

आशा सक्सेना