जीवन के कई रंग देखे
इस छोटी सी गली में
भिन्न-भिन्न लोग देखे
इस सँकरी सी गली में
प्रातःकाल भ्रमण करते
बुजुर्ग दिखाई देते
जाना पहचाना हो
या हो अनजाना
हरिओम सभी से कहते
जैसे ही धूप चढ़ती
सभी व्यस्त हो जाते
कोई होता तैयार
ऑफिस जाने के लिये
कोई बैठा पेपर पढ़ता
हाथ में गर्म चाय का प्याला ले !
बच्चों की दुनिया है निराली
करते शाला जाने की तैयारी
आधे अधूरे मन से
किसी का जूता नहीं मिलता
तो किसी का बस्ता खो जाता
फिर भी नियत समय पर
ऑटो वाला आ जाता
इतना शोरशराबा होता
तब कोई काम ना हो पाता
फिर भी जीने के अंदाज का
अपना ही नजारा होता |
भरी दोपहर में काम समाप्त कर
जुड़ती पंचायत महिलाओं की
करती रहतीं सभी वकालत
अपने अपने अनुभवों की !
है विशिष्ट बात यहाँ की
हर धर्म के लोग यहाँ रहते
इस छोटी सी तंग गली में
सभी धर्म पलते हैं
अनेकता में एकता क़ी
अद्भुत मिसाल दिखते हैं |
सारे त्यौहार यहाँ मनते
मीठा मुँह सभी करते हैं
अगर कोई समस्या आये
सभी सहायता करते हैं |
हिलमिल कर रहते हैं सभी
छोटा भारत दिखते हैं
यथोचित सम्मान सभी का
सभी लोग करते हैं
है तो यह छोटी सी गली
पर राखी, ईद, दिवाली, होली ,
सभी यहाँ मनते हैं |
आशा
यही वो गली है....
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति!
आशा माँ
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
अच्छी लगी आपकी शिल्पकारी
..................बहुत पसन्द आया
"माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ...
जवाब देंहटाएंसंकरी गलियों में रहने वालों के दिल तो बड़े हो ही सकते हैं ...
जवाब देंहटाएंसुबह सवेरे के दृश्य सजीव हो उठे हैं कविता में ..!
सुन्दर भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंएक छोटी सी दुनिया ही जीवंत हो उठी है कविता में ! हर दृश्य आँखों के आगे साकार हो उठा है ! एक सुन्दर शब्दचित्रात्मक रचना ! बहुत पसंद आई ! भाईचारा और सर्व धर्म सद्भाव ऐसी गलियों में ही जीवित रह गया है ! वरना नेताओं ने तो इसे भी अपनी स्वार्थ सिद्धी का एक अस्त्र बना लिया है !
जवाब देंहटाएंbahot achche.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गली का वर्णन -
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं -
क्या शब्दचित्र खींचा है आपने। काश कि इस गली के मुहाने पर अपना भी मकान होता! बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंविचार- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद - भारतीयता के प्रतीक
bahut sundar prastuti. badhaai.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ही सुन्दर गली ……………।काश ऐसी गली पूरे भारत मे बस जाये।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सजीव रचना!
जवाब देंहटाएंजीवन के कईरंग देखे ,
जवाब देंहटाएंइस छोटी सी गली में ,
भिन्न भिन्न लोग देखे ,
इस सकरी सी गली में ,
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हमें तो 37 साल हो गये हैं!
अब इन राहों की आदत हो गयी है!
अब यह सकरी गली जानी-पहचानी हो गयी है!
हमारी गली में आने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा