31 मार्च, 2011

सौहार्द


खेल को खेल समझा
युद्ध का मैदान नहीं
प्यार का सन्देश समझा
नफरत की दुकान नहीं |
खेल का मैदान था
अहम मैच हो रहा था
स्नेह का सेतु बन रहा था
भाई चारा पनप रहा था |
कोई हारे कोई जीते
बस खेल भावना बनी रहे
दुश्मनी ना हो किसी से
केवल प्यार ही पले |
जीवन का आनंद यही है
खेल भावना फूले फले
यह खेल का मैदान है
यहाँ सौहार्द ही पले |

आशा

16 टिप्‍पणियां:

  1. सौहार्द् की भावना हमेशा बनी रहनी चाहिये और खेल को सिर्फ खेल ही समझना चाहिये.
    बहुत ही अच्छा सन्देश देती कविता.

    सादर

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  2. वाह! बहुत बेहतरीन रचना| धन्यवाद|

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  3. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    ....बहुत ही अच्छा सन्देश देती कविता !

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  4. खेल भावना का महत्वपूर्ण सन्देश देती बहुत प्यारी रचना ! बधाई !

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  5. आशा जी ...बेहद सुन्दर पंक्तिया,,, आप भी बधाई की पात्र है इन सुन्दर पंक्तियों के लिए.... आज मैं आपके लिंक के साथ इन पंक्तियों को अपने फेस बुक अकाउंट में भी शेयर करुँगी... आभार
    कल आपकी यह पोस्ट चर्चामंच पर होगी... आप वह आ कर अपने विचारों से अनुग्रहित करियेगा ... सादर
    चर्चामंच
    मेरे ब्लॉग में भी आपका स्वागत है - अमृतरस ब्लॉग

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  6. कोई हारे कोई जीते
    बस खेल भावना बनी रहे
    --
    सुन्दर सन्देश दिया है आपने इस रचना के माध्यम से!

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  7. भाई चारा पनप रहा था |
    कोई हारे कोई जीते
    बस खेल भावना बनी रहे

    भाई चारा पनप रहा था |
    कोई हारे कोई जीते
    बस खेल भावना बनी रहे

    जवाब देंहटाएं
  8. दुश्मनी ना हो किसी से
    केवल प्यार ही पले |
    जीवन का आनंद यही है
    खेल भावना फूले फले
    यह खेल का मैदान है
    यहाँ सौहार्द ही पले |
    kitni sachchi pyaari si baat

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  9. आदरणीय आशा दी ,
    सुन्दर भाव है ।काश ये सब लोग समझ सकें ।
    सादर !

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  10. आज पूरे संसार को ही सौहार्द भाव की आवश्यकता है ,बहुत सुंदर सन्देश देती रचना|

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  11. सुन्दर और खेल भावना के प्रति सच्ची पंक्तियाँ .. अच्छी रचना

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  12. सुन्दर सन्देश.
    खेल खेल ही रहे.
    यही दुआ है.
    सलाम.

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  13. आप सब का आभार ब्लॉग पर आकर मुझे प्रोत्साहित करने के लिए
    आशा

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  14. बहुत ही अर्थपूर्ण और सटीक है आपकी कविता. "आपको प्रणाम मेरा" मैं पहली बार आपकी कवितओं को पढ़ रहा हूँ. और आपसे जुर कर अच्छा लग रहा है

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