29 अक्टूबर, 2011

असफल क्यूं


भुलाए कैसे बीतें पलों को
जीवन में लगे ग्रहण को
पहले न था अवरोध कहीं
थी जिंदगी भी सरल कहीं |
परिवेश बदला वह बदली
पर समायोजन न कर पाई
होता संघर्ष ही जीवन
यह तक न जान पाई |
नितांत अकेली रह गयी
अन्तरमुखी होती गयी
उचित सलाह न मिल पाई
विपदाओं में घिरती गयी |
रोज की तकरार में
आस्था डगमगा गयी
हर बार की तकरार में
मन छलनी होता गया |
माना न खोला द्वार उसने
बंद किया खुद को कमरे में
क्या न था अधिकार उसको
लेने का स्वनिर्णय भी |
आज है सक्षम सफल
फिर भी घिरी असुरक्षा से
कभी विचार करती रहती
शायद है उसी में कमीं |
विपरीत विचारों में खोई
समझ न पाई आज तक
चूमती कदम सफलता बाहर
निजि जीवन में ही असफल क्यूँ ?


19 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन के अनुभवों को शब्दों से बहुत भावमय बना दिया। कुछ बातें हम समझ नही पाते और कुछ समझ कर भी समझना नही चाहते। बस यही जीवन है। शुभकामनायें।

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  2. bahut badi samasya ko mukhar kar diya aapne is kavita ke madhyam se.......bahot sunder......

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  3. बहुत गंभीर कविता... अंतिम पंक्तियाँ उद्वेलित कर देती हैं...

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  4. विपरीत विचारों में खोई
    समझ न पाई आज तक
    चूमती कदम सफलता बाहर
    निजि जीवन में ही असफल क्यूँ ?

    बढिया भावाभिव्‍यक्ति !!

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  5. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति|
    मेरे ब्लॉग पर आने हेतु हार्दिक आभार|

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  6. विपरीत विचारों में खोई
    समझ न पाई आज तक
    चूमती कदम सफलता बाहर
    निजि जीवन में ही असफल क्यूँ ?

    गंभीर चिंतन ... ऐसा ही कभी कभी मुझे भी लगता है ..

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  7. चूमती कदम सफलता बाहर
    निजि जीवन में ही असफल क्यूँ ?
    नारी जीवन की विडम्बना का सशक्त चित्रण्।

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  8. नारी जीवन की विसंगतियों को सशक्त रूप से उजागर किया है आपने इस रचना में ! गहन, गंभीर एवं अंदर तक उद्वेलित करती एक बेहतरीन अभिव्यक्ति ! बधाई !

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  9. गंभीर चिंतन... सार्थक रचना...
    सादर...

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  10. विपरीत विचारों में खोई
    समझ न पाई आज तक
    चूमती कदम सफलता बाहर
    निजि जीवन में ही असफल क्यूँ ?

    ...गहन चिंतन...एक सटीक प्रश्न उठाती सार्थक अभिव्यक्ति..आभार

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  11. बहुत सही प्रश्न उठाया है आशा जी आपने अपने इस रचना के माध्यम से ..
    आपका बहुत आभार
    मेरी नई पोस्ट के लिये पधारे स्वागत है..
    www.mknilu.blogspot.com
    सदस्य बन रहा हू

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  12. शायद आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर भी हो!
    सूचनार्थ!

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