पहले उसे अपना लिया ,फिर निमिष में बिसरा दिया
अनुरोध निकला खोखला ,प्रिय आपने यह क्या किया |
बीती बातें वह ना भूला ,कोशिश भी की उसने
इन्तजार भी कब तक करता ,गलत क्या किया उसने |
है आज बस अनुरोध इतना ,घर में आकार रहिये
रूखा सूखा जो वह खाता ,पा वही संतुष्ट रहिये |
आज छत्र छाया में तुम्हारी ,अभय दान मिले मुझे
पाऊँ जो आशीष तुम्हारा ,कहीं रहे ना भय मुझे |
जो भी थे कल तक तुम्हारे ,वे किसी के हो गए
इन्तजार व्यर्थ लगता उनका ,जो दुखी कर चल दिए |
आशा
अनुरोध निकला खोखला ,प्रिय आपने यह क्या किया |
बीती बातें वह ना भूला ,कोशिश भी की उसने
इन्तजार भी कब तक करता ,गलत क्या किया उसने |
है आज बस अनुरोध इतना ,घर में आकार रहिये
रूखा सूखा जो वह खाता ,पा वही संतुष्ट रहिये |
आज छत्र छाया में तुम्हारी ,अभय दान मिले मुझे
पाऊँ जो आशीष तुम्हारा ,कहीं रहे ना भय मुझे |
जो भी थे कल तक तुम्हारे ,वे किसी के हो गए
इन्तजार व्यर्थ लगता उनका ,जो दुखी कर चल दिए |
आशा
"पर्व नया-नित आता जाता" उच्चारण पर लिखा
जवाब देंहटाएंजो कहीं कोई याद करता ,थके क़दमों से दिखा
बिखरे बिखरे विचार कुछ हैं, वो दिल से रहा बता |
दिग्भ्रमित सी देख दिशाएँ, अब बदली रही सता ||
आपकी उत्कृष्ट पोस्ट का लिंक है क्या ??
आइये --
फिर आ जाइए -
अपने विचारों से अवगत कराइए ||
शुक्रवार चर्चा - मंच
http://charchamanch.blogspot.com/
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदिवाली, भाई दूज और नव वर्ष की शुभकामनायें
सुन्दर!
जवाब देंहटाएंभावपरक कविता
जवाब देंहटाएंआपको दीपावली एवं नववर्ष की सपरिवार ढेरों शुभकामनाएं !
बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंदीपावली, गोवर्धनपूजा और भातृदूज की शुभकामनाएँ!
बिखरे बिखरे से विचार सिमट गए ..
जवाब देंहटाएंभावभरी रचना।
जवाब देंहटाएंजीवन के यथार्थ को समेटे एक बहुत ही सुन्दर, कोमल एवं प्यारी रचना ! प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंआकार!
arthpurn rachana..
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति अर्थपूर्ण रचना ....समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंhttp://mhare-anubhav.blogspot.com/2011/10/blog-post_27.html