23 अक्टूबर, 2011

कशिश उसकी




द्वारे सजाए अल्पना से
थी कोशिश प्रथम उसकी
क्यारी सजी सुन्दर फूलों की
छवि आकर्षक उसकी |
त्यौहार दीपों का मनाया
दीपक जलाए स्नेह के
होने लगे हैं शुभ शगुन भी
उसी के आगाज के |
चाहा न कोइ उपहार था
था अनुरोध भी नहीं
जो पा लिया थी खुश उसी में
थी कशिश उसमें कहीं |

आशा


19 टिप्‍पणियां:

  1. शुभकामनाएं ||
    रचो रंगोली लाभ-शुभ, जले दिवाली दीप |
    माँ लक्ष्मी का आगमन, घर-आँगन रख लीप ||
    घर-आँगन रख लीप, करो स्वागत तैयारी |
    लेखक-कवि मजदूर, कृषक, नौकर व्यापारी |
    नहीं खेलना ताश, नशे की छोडो टोली |
    दे बच्चों के साथ, रचो मिलकर रंगोली ||

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  2. दो बच्चों का साथ, रचो मिलकर रंगोली ||

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  3. सुन्दर कविता है आपकी.
    मधुर कशिश का अहसास कराती.

    धनतेरस व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    आपका मेरे ब्लॉग पर इंतजार है,आशा जी.

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  4. बहुत बढिया..
    सपरिवार आपको दीपावली की शुभकामनाएं !!

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  5. जो पा लिया थी खुश उसी में
    थी कशिश उसमें कहीं |
    सुन्दर!
    शुभकामनाएं!!

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  6. सुन्दर भावपूर्ण बेहतरीन प्रस्तुति ! दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !

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  7. सुंदर भावाभिव्‍यक्ति।
    दीप पर्व की शुभकामनाएं.....

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  8. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं

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  10. सुंदर भावाभिव्‍यक्ति
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.

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  11. दीप मय उजास फैलाती चर्चा ,उजास ही उजास फैले चंहु ओर आपके,दिवाली मुबारक .

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  12. दीप मय उजास फैलाती पोस्ट ,उजास ही उजास फैले चंहु ओर आपके,दिवाली मुबारक . खूब सूरत रचना .

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  13. बहुत सुन्दर.... वाह!
    आपको दीप पर्व की सपरिवार सादर बधाईयां....

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  14. सुन्दर कविता
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें….!

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  15. बहुत ही सुन्दर कविता ! आप को दिवाली के इस पावन पर्व पर
    दिवाली की हार्दिक शुभ कामनाएं !

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  16. आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

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