18 मार्च, 2014

एक बूँद मीठे जल की




एक बूँद मीठे जल की
बादल से आती सागर में
असहज अनुभव करती
खुद को स्थापित करने में |
बारम्बार धकेली जाती
वहीं ठहरे रहने की
उसी में समाए रहने की
नाकाम कोशिश करती |
है कितना कठिन
अपना अस्तित्व बचाए रखना
चोटिल हो कर भी
स्वयं हार न मानना |
विषम स्थितियों में 
 अपना हश्र स्वीकारना
हो जुझारू
अपना सत्व बनाए रखना |
है अद्भुद समानता
नारी में और उसमें
नारी भी है कर्तव्यरत
उसी के समान
अपना अस्तित्व बचाने में
समय के साथ एकाकार होने में |
आशा

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया ! मीठे जल की बूँद जैसे सागर के जल में मिल कर खारी हो जाती है उसी तरह नारी भी कभी-कभी विषम परिस्थितियों से जूझते-जूझते कटु हो जाती है ! बहुत ही सार्थक एवं सारगर्भित रचना ! अति सुन्दर !

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  2. बहुत सुन्दर और सटीक उपमा |बहुत सुन्दर
    होली की हार्दिक शुभकामनाऐं ।
    new post: ... कि आज होली है !

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  3. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय पहेली चर्चा चर्चा मंच पर ।।

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  4. अपना अस्तित्व बचाने के लिए समय के साथ एकाकार होने में भलाई है ...!
    सपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाए ....
    RECENT पोस्ट - रंग रंगीली होली आई.

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  5. बहुत खूबसूरती से बयाँ की गई अभिव्यक्ति

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  6. बढ़िया लेखन व कृति आदरणीय होली की शुभकामनाएँ , धन्यवाद
    नया प्रकाशन -: होली गीत - { रंगों का महत्व }

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