एक बूँद मीठे जल की
बादल से आती सागर में
असहज अनुभव करती
खुद को स्थापित करने में |
बारम्बार धकेली जाती
वहीं ठहरे रहने की
उसी में समाए रहने की
नाकाम कोशिश करती |
है कितना कठिन
अपना अस्तित्व बचाए रखना
चोटिल हो कर भी
स्वयं हार न मानना |
विषम स्थितियों में
अपना हश्र स्वीकारना
हो जुझारू
अपना सत्व बनाए रखना |
है अद्भुद समानता
नारी में और उसमें
नारी भी है कर्तव्यरत
उसी के समान
अपना अस्तित्व बचाने में
समय के साथ एकाकार होने में |
आशा
बहुत बढ़िया ! मीठे जल की बूँद जैसे सागर के जल में मिल कर खारी हो जाती है उसी तरह नारी भी कभी-कभी विषम परिस्थितियों से जूझते-जूझते कटु हो जाती है ! बहुत ही सार्थक एवं सारगर्भित रचना ! अति सुन्दर !
जवाब देंहटाएंbahut sundar aur gahare bhav liye rachna ...:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सटीक उपमा |बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाऐं ।
new post: ... कि आज होली है !
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय पहेली चर्चा चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंअपना अस्तित्व बचाने के लिए समय के साथ एकाकार होने में भलाई है ...!
जवाब देंहटाएंसपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाए ....
RECENT पोस्ट - रंग रंगीली होली आई.
बहुत खूबसूरती से बयाँ की गई अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबढ़िया लेखन व कृति आदरणीय होली की शुभकामनाएँ , धन्यवाद
जवाब देंहटाएंनया प्रकाशन -: होली गीत - { रंगों का महत्व }