11 मई, 2014

चुनाव आज का




थमा चुनाव प्रचार हुई शान्ति अपार
अब मोदी ना राहुल ना ही केजरीवाल
कटाक्षों ने हद पार की
सब के मुंह पर कीचड़ उछला |
इस चुनाव में पार्टी गौण हुई
 व्यक्तिवाद  हावी हुआ
भाई भतीजा परिवार वाद भी दिखा
दो नावों में पैर रखा |
कुछ बातें होती अन्तरंग
धर में भी शोभा न देतीं
सडकों पर उछाली गईं
मर्यादा की सीमा पार कर गईं |
मान  हनन चरित्र हनन
सब कुछ खुले आम हुआ
बचा क्या रह गया
अपशब्दों का उपयोग हुआ |
पहले भी चुनाव होते थे
जश्न सी रौनक रहती थी
वादे पार्टी करती थी व्यक्ति नहीं 
नेता अभिनेता न था | 
आशा  

10 टिप्‍पणियां:

  1. सच में इस बार के चुनाव अभूतपूर्व थे ! ऐसा धुआँधार प्रचार पहले कभी नहीं हुआ ! परिणाम कितने सुखद निकलते हैं यह देखना बाकी है ! सुंदर रचना !

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (12-05-2014) को ""पोस्टों के लिंक और टीका" (चर्चा मंच 1610) पर भी है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. उत्तर
    1. जब शब्द अपशब्द में बदलने लगे मन में ग्लानी हुई

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  4. प्रचार तो जबरदस्त रहा ,अब इन्तजार है फैसले का ...!

    RECENT POST आम बस तुम आम हो

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सारा दिन टी,वी के सामने एग्जिट पोल के नतीजों पर बहस सुनाने में सारा समय चला जाता है |

      हटाएं

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