थमा चुनाव प्रचार हुई शान्ति अपार
अब मोदी ना राहुल ना ही केजरीवाल
कटाक्षों ने हद पार की
सब के मुंह पर कीचड़ उछला |
इस चुनाव में पार्टी गौण हुई
व्यक्तिवाद हावी हुआ
भाई भतीजा परिवार वाद भी दिखा
दो नावों में पैर रखा |
कुछ बातें होती अन्तरंग
धर में भी शोभा न देतीं
सडकों पर उछाली गईं
मर्यादा की सीमा पार कर गईं |
मान हनन चरित्र हनन
सब कुछ खुले आम हुआ
बचा क्या रह गया
अपशब्दों का उपयोग हुआ |
पहले भी चुनाव होते थे
जश्न सी रौनक रहती थी
वादे पार्टी करती थी व्यक्ति नहीं
नेता अभिनेता न था |
आशा
सच में इस बार के चुनाव अभूतपूर्व थे ! ऐसा धुआँधार प्रचार पहले कभी नहीं हुआ ! परिणाम कितने सुखद निकलते हैं यह देखना बाकी है ! सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी हेतु |
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (12-05-2014) को ""पोस्टों के लिंक और टीका" (चर्चा मंच 1610) पर भी है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सूचना हेतु धन्यवाद सर
हटाएंयह चुनाव तो शब्दों का जंग था !
जवाब देंहटाएंबेटी बन गई बहू
जब शब्द अपशब्द में बदलने लगे मन में ग्लानी हुई
हटाएंप्रचार तो जबरदस्त रहा ,अब इन्तजार है फैसले का ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST आम बस तुम आम हो
सारा दिन टी,वी के सामने एग्जिट पोल के नतीजों पर बहस सुनाने में सारा समय चला जाता है |
हटाएंसब इंतज़ार ही कर रहे हैं
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद अनु जी
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