23 सितंबर, 2018

प्यास


तृष्णा न गई
प्यासा रहा मन भी
ये कैसी सजा 

प्यासा है तन 
मन भी तरसे है 
जल के बिना 

तृष्णा बढ़ती 
बिना नियंत्रण के 
 चित अशांत 

नमन तुम्हें 
हो गजानन मेरे 
गणपति जी 

अनाम नाम 
मन पर छाया है
प्रभु की माया 


आशा


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