28 दिसंबर, 2018

लौटा दो मुझे बीता हुआ बचपन

नहीं चाहिए मुझे 
कोई उपहार
बस लौटा दो मेरा
बीता हुआ बचपन
कहना बहुत सरल है 
पचपन में बचपन की बातें

शोभा नहीं देतीं
मैंने तो पचपन पार कर लिया
तुम क्या जानों ?
कितना सुकून मिलता है
उस दौर को याद कर
वहीं जाना चाहता है
पीछे पलटना चाहता है

 वे दिन भी कितने प्यारे थे
खिलोने थे  मुझे बहुत प्यारे
दिन उनमें खो कर 
कहाँ गुम हो जाता था 
जान न पाती थी 
सिलाई कढ़ाई सीखी थी 
सभी खेल खेल में 
पढ़ना पढ़ाना भी
 तभी का शौक था 
जीवन जीने का
 था शगल अनोखा|
आशा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: