कोई उपहार
बस लौटा दो मेरा
बीता हुआ बचपन
कहना बहुत सरल है
पचपन में बचपन की बातें
शोभा नहीं देतीं
मैंने तो पचपन पार कर लिया
तुम क्या जानों ?
कितना सुकून मिलता है
उस दौर को याद कर
वहीं जाना चाहता है
पीछे पलटना चाहता है
वे दिन भी कितने प्यारे थे
खिलोने थे मुझे बहुत प्यारे
दिन उनमें खो कर
कहाँ गुम हो जाता था
जान न पाती थी
सिलाई कढ़ाई सीखी थी
सभी खेल खेल में
पढ़ना पढ़ाना भी
तभी का शौक था
जीवन जीने का
था शगल अनोखा|
आशा
बस लौटा दो मेरा
बीता हुआ बचपन
कहना बहुत सरल है
पचपन में बचपन की बातें
शोभा नहीं देतीं
मैंने तो पचपन पार कर लिया
तुम क्या जानों ?
कितना सुकून मिलता है
उस दौर को याद कर
वहीं जाना चाहता है
पीछे पलटना चाहता है
वे दिन भी कितने प्यारे थे
खिलोने थे मुझे बहुत प्यारे
दिन उनमें खो कर
कहाँ गुम हो जाता था
जान न पाती थी
सिलाई कढ़ाई सीखी थी
सभी खेल खेल में
पढ़ना पढ़ाना भी
तभी का शौक था
जीवन जीने का
था शगल अनोखा|
आशा
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