04 दिसंबर, 2018

साहिल






लहरें टकरातीं लौट जातीं
पर साहिल शिकायत नहीं करता
कभी दुखी भी नहीं  होता
जानता है प्रारब्ध अपना
चाहे कोई भी मौसम हो
तूफान आए तांडव मचाए
किनारा तोड़ने की
पूरी कोशिश करे
नुकसान तो होता है
पर इतना भी नहीं कि
 सुधार न हो पाए
 यूं तो धीरे धीरे
स्वतः  ठीक हो जाता है
या सुधारा जाता है
 जल का साथ सदा देता है
उसे बाँध कर रखता है
साहिल तो साहिल ही रहेगा
जल को कभी
भटकने न देगा |
आशा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: