लहरें टकरातीं लौट जातीं
पर साहिल शिकायत नहीं करता
कभी दुखी भी नहीं होता
जानता है प्रारब्ध अपना
चाहे कोई भी मौसम हो
तूफान आए तांडव मचाए
किनारा तोड़ने की
पूरी कोशिश करे
नुकसान तो होता है
पर इतना भी नहीं कि
सुधार न हो पाए
यूं तो धीरे धीरे
स्वतः ठीक हो जाता है
या सुधारा जाता है
जल का साथ सदा देता है
उसे बाँध कर रखता है
साहिल तो साहिल ही रहेगा
जल को कभी
भटकने न देगा |
आशा
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