मनोभाव पिघल कर आ जाते
खुली किताब से चेहरे पे
अनचाही बातों का भी,
इजहार कराते चेहरे से |
ये राज कभी न समझ पाए
अपने बेगाने कहने से
अहसास तभी तक बाकी है
जो भाव समझ ले चेहरे से|
इजहार कराते चेहरे से |
ये राज कभी न समझ पाए
अपने बेगाने कहने से
अहसास तभी तक बाकी है
जो भाव समझ ले चेहरे से|
रहते जो दूर बसेरे से
सहते दूरी को गहरे से
मनोभाव सिमट कर रह जाते
अंतर्मन में धीरे से .........|
मनोभाव सिमट कर रह जाते
अंतर्मन में धीरे से .........|
आशा
बहुत खूबसूरत भाव हैं ।
जवाब देंहटाएंरहते जो दूर बसेरे से
सहते दूरी को गहरे से
बिल्कुल सच कहा है आपने । अति सुन्दर ।
रहते जो दूर बसेरे से,
जवाब देंहटाएंसहते दूरी को गहरे से,
मनोभाव सिमट कर रह जाते,
अंतर्मन में धीरे से .........
बहुत प्रभावी पंक्तियाँ
...बहुत खूबसूरत हैं ये मनोभाव ...
जवाब देंहटाएंसटीक..गहन रचना ...
खूबसूरत मनोभाव गहन विचार लिए सुन्दर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएं