01 दिसंबर, 2009

बाल श्रमिक

तपती धूप 
दमकते चहरे 
 श्रमकण जिनपर गए उकेरे 
 काले भूरे बाल सुनहरे 
 भोले भाले नन्हे चेहरे 
जल्दी जल्दी हाथ चलाते 
 थक जाते पर रुक ना पाते 












उस पर भी वे झिड़के जाते  सजल हुई आँखे , पर हँसते , मन के टूटे तार लरजते | आशा

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