अतुलनीय है प्यार ,
तुम्हारे नेह बंध का सार ,
मुझ में साहस भर देता है ,
नहीं मानती हार ,
माँ तुझे मेरा शत-शत प्रणाम |
आज जहाँ मै खड़ी हुई हूँ ,
जैसी हूँ ,
तुमसे ही हूँ मैं ,
मुझे यही हुआ अहसास ,
माँ तुझे मेरा प्रणाम |
तुमने मुझ में कूट- कूट कर
भरा आत्म विश्वास ,
माँ मेरा तुझे शत-शत प्रणाम |
न कोई वस्तु मुझे लुभाती ,
कभी किसी से ना भय खाती ,
रहती सदा ससम्मान ,
माँ मेरा तुझे हर क्षण प्रणाम !
आशा
A very poetic tribute to 'maa' . Great composition. Congrats.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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