कालचक्र चलता जाता
ना रुका कभी ना रोका जाता
बीता कल लौट नही पाता
मन अशांत करता जाता
फिर क्यूँ सोचूँ जो बीत गया
जो ना लौटा और रीत गया
अतीत पीछे छूट गया
जो बीत गया सो बीत गया
जीवन की कटुता से सीखा
बीता कल सहज नहीं होता
यदि अतीत में खोते जाओ
वर्तमान में जी ना पाओ
उस कल में ना जीना चाहूँ
जिसका कोई पता नहीं
केवल कोरी कल्पना में
क्यों मैं अपना समय गवाऊँ
यह जीवन तो क्षण भंगुर है
अगला पल किसने देखा है
फिर भविष्य की कल्पना में
क्यूँ भावुक हो बहती जाऊँ
उस कल की क्या बात करूँ
जो अनिश्चित है अनजाना है
ऐसे आगत की चिंता में
क्यूँ मैं अपना आज गवाऊँ
मैं वर्तमान में जीती हूँ
क्षण-क्षण का मोल समझती हूँ
हर पल का पूरा हिसाब रखा
मैं सही आकलन करती हूँ
समय का काँटा घूम रहा
वह तेजी से भाग रहा
अग्र भाग के केशों से
समय को पकड़े रहती हूँ
मैं जब दिल को बहलाना चाहूँ
इधर उधर साधन अनेक
उनमें से कुछ को चुन कर
अपना जीवन जीना चाहूँ
जो बीत गया वो ना लौटा
आने वाला कल किसने देखा
सब के सुख दुःख अपना कर
मैं यथार्थ में रहती हूँ
अनजाने लोग अनजान शहर
उनमें अपनापन पाकर
हर पल को खुशियों से भर कर
मैं वर्तमान में जीती हूँ |
आशा
वर्त्तमान की महत्ता को दर्शाती बहुत अच्छी रचना ! शेक्सपीयर के 'ओथेलो' की चंद लाइनें याद आ गयीं,
जवाब देंहटाएंThe unborn tomorrow
and the dead yesterday
why fret about these
if present be sweet.
बहुत बढ़िया पोस्ट ! इसी तरह लिखती रहिये और हम सबको उपकृत करती रहिये !
हर पल को खुशियों से भर कर ,
जवाब देंहटाएंमैं वर्तमान में जीती हूं |
BAHUT KHOOB LIKHA HAI....
BAHUT HI GEHRAI SE LIKHTI HO MUMMY JI
जवाब देंहटाएंKAI BAAR TO SAMAJH HI NAHI PATA HOON
समय का कांटा घूम रहा ,
जवाब देंहटाएंवह तेजी से भाग रहा ,
अग्र भाग के केशों से ,
समय को पकड़े रहती हूं ,
मैं जब दिल को बहलाना चाहूं ,
bahut saarthak lekhan hai.
APNI MAATI
MANIKNAAMAA