केवल जज्बातों में बह कर ,
उसको तुम क्या जानोगे ,
यदि वक्त पर आया काम ,
तभी उसे पहचानोगे ,
दुर्योधन ने निजी स्वार्थ वश ,
कर्ण को अपना मित्र बनाया ,
अंग देश का दिया राज्य ,
पर सच्चा मित्र ना बन पाया ,
दुनिया में सब कुछ मिलता है ,
पर असली मित्र ना मिल पाता ,
वह बहुत भाग्यशाली है ,
जो सच्चे दोस्त को पा जाता ,
अच्छे के सारे साथी हैं ,
अपना प्यार जताते हैं ,
यदि बुरा वक्त आ जाये ,
सब कन्नी काट चले जाते हैं ,
बुरे समय में जो अपनाये ,
ग़लत सही की पहचान कराये ,
सही राह पर ले कर आये ,
सच्चा मित्र वही कहलाये ,
हर अच्छे और बुरे समय में ,
मन से पूरा साथ निभाये ,
सरल सहज और पारदर्शी हो ,
मन की भाषा पढ़ना चाहे,
पर्दे की ओट से भी ,
जो सहज पहचाना जाये ,
कृष्ण सुदामा की मिसाल बन ,
तुम पर अपना सर्वस्व लुटाये ,
ऐसे मित्र की तलाश में ,
ज़ज्बातों का काम नहीं ,
समय बहुत प्रबल होता है
इसका तुम्हें अहसास नहीं
जिस दिन सच्चा मित्र मिलेगा
मन से तुमको अपनायेगा
सच्चा मित्र वही होगा
जो सही राह दिखलायेगा |
आशा
सच्चा मित्र वही होगा ,
जवाब देंहटाएंजो सही राह दिखलाएगा |
BAHUT KHOOB MUMMY JI
PAR SACHHE MITRA AAJ KAL BAHUT HI MUSKIL SE MILTE HAI
ये सच है कि सच्चा मित्र वही होगा जो सच्ची राह दिखाएगा परन्तु इस आपाधापी के महासागर मेँ सच्चा मित्र कहां से आएगा?खैर! आपकी कविता अच्छी है! बधाई हो!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा है आपने ! लेकिन एक तो सच्चे मित्र का मिलना ही दुर्लभ है और यदि मिल भी जाये तो जीवन भर के लिये उसका साथ मिल पाना तो नितांत असंभव है ! इसलिए जीवन तो अपने बलबूते पर और स्वविवेक के सहारे ही काटना होगा ! एक अच्छी और सुखद रचना !
जवाब देंहटाएंbahut achcha.
जवाब देंहटाएंदुनिया में सब कुछ मिलता है ,
जवाब देंहटाएंपर असली मित्र ना मिल पाता ,
वह बहुत भाग्य शाली है ,
जो सच्चे दोस्त को पा जाता ,
सच कह आपने ....वही सच्चा भग्यशाली होता है
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