नन्हा सा बीज कहीं से आया
नदिया तट पर पैर जमाया
प्रकृती नटी की महिमा देखो
धरती पर हरियाली लाया
बहती नदिया की तीव्र गति
माटी बहा कर ले जाती
यदि वृक्ष का साथ नहीं पाती
कारण कटाव का बन जाती
तट पर पेड़ों की गहरी मूल
कस कर अपने प्रेम पाश में
माटी को जकड़े समूल
नदिया तट तोड़ नहीं पाती
मर्यादा छोड़ नहीं पाती
धरती क्षय होने से बच जाती
नदिया उथली ना हो पाती
पेड़ों की महिमा बहुत अधिक
इतना सा संदेशा लाती
बड़े वृक्ष घनेरी छाया
कितनों का बनते हैं सहारा
पंछी का बसेरा बनते
पंथी को छाया देते हैं
फल फूल और औषधियों से
मन में सुकून भर देते हैं
सब को खुश कर देते हैं
प्रकृति नटी का विशिष्ट नज़ारा
हरियाली व नदी का किनारा
मन उसमें रमता जाता
नन्हा सा बीज बन वृक्ष बड़ा
दिल में घर करता जाता |
आशा
वृक्षों की महत्ता और उपयोगिता की ओर इंगित करती बहुत ही सार्थक रचना ! वृक्षारोपण आज के युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है और प्रत्येक व्यक्ति का परम कर्तव्य ! सारगर्भित पोस्ट के लिये बधाई और धन्यवाद !
जवाब देंहटाएं... बेहद प्रभावशाली
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