23 अप्रैल, 2010

नन्हा सा बीज

नन्हा सा बीज कहीं से आया
नदिया तट पर पैर जमाया
प्रकृती नटी की महिमा देखो
धरती पर हरियाली लाया
बहती नदिया की तीव्र गति
माटी बहा कर ले जाती
यदि वृक्ष का साथ नहीं पाती
कारण कटाव का बन जाती
तट पर पेड़ों की गहरी मूल
कस कर अपने प्रेम पाश में
माटी को जकड़े समूल
नदिया तट तोड़ नहीं पाती
मर्यादा छोड़ नहीं पाती
धरती क्षय होने से बच जाती
नदिया उथली ना हो पाती
पेड़ों की महिमा बहुत अधिक 
इतना सा संदेशा लाती
बड़े वृक्ष घनेरी छाया
कितनों का बनते हैं सहारा
पंछी का बसेरा बनते 
पंथी को छाया देते हैं
फल फूल और औषधियों से
मन में सुकून भर देते हैं
सब को खुश कर देते हैं
प्रकृति नटी का विशिष्ट नज़ारा
हरियाली व  नदी का किनारा
मन उसमें रमता जाता 
नन्हा सा बीज बन वृक्ष बड़ा
दिल में घर करता जाता  |


आशा

2 टिप्‍पणियां:

  1. वृक्षों की महत्ता और उपयोगिता की ओर इंगित करती बहुत ही सार्थक रचना ! वृक्षारोपण आज के युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है और प्रत्येक व्यक्ति का परम कर्तव्य ! सारगर्भित पोस्ट के लिये बधाई और धन्यवाद !

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