28 जून, 2010

पाप और पुण्य

होते सिक्के के दो पहलू
एक पाप और एक पुण्य
बाध्य करते सोचने को
है पाप क्या और पुण्य क्या
है यह अवधारणा
विकसित मस्तिष्क की |
निजी स्वार्थ हित धन देना
क्या पाप नहीं होता ?
पर मंदिर में दिया दान
कैसे पुण्य हो जाता |
जहाँ किसी का हित होता
वही पुण्य निहित होता
जब पश्चाताप किसी को होता
उसके लिए वही पाप होता
आवश्यकता से अधिक संचय
आता पाप की श्रेणी में
लोक हित के लिए संचय
महान कार्य कहा जाता |
यदि पशु की बलि देते हैं
कहलाता देवी का प्रसाद
पर है पशु वध हिंसा ही
यह पाप भी कहलाती है |
है दोनों में अंतर क्या
यह कठिन प्रश्न सा लगता है |
पाप है क्यापुण्य क्या ?
दृष्टिकोण है सब का अपना
जो जैसा सोचता है
वैसा ही उसको लगता |


आशा

8 टिप्‍पणियां:

  1. Aap theek kahti hain pap aur punya ka logon ka apna apna najariya hota hai. hum yahee man kar chalen ki humase kisi ka nuksan na ho kis ka dil na dukhe aur jo humse ban pade hum auron ke liye karen mere liye to itanahi kafi hai,

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  2. बिलकुल ठीक बात लिखी है -
    जाकी रही भावना जैसी --
    आपकी सोच सदा आपके
    आगे -आगे चलती है -
    जैसा आप सोचते हैं वैसा ही दिखताहै
    पर अच्छी सोच निश्चित मन प्रसन्न रखती है -

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  3. एकदम सही कहा..उम्दा अभिव्यक्ति!

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  4. बिलकुल सत्य कहा है आपने ! हर सिक्के के दो पहलू होते हैं ! एक पहलू अगर किसी के लिए पाप है तो वही दूसरे के लिए पुण्य संचित करने का माध्यम है ! किसी की ह्त्या करना महा पाप और जघन्यतम अन्याय और अपराध है तो वहीं किसी को दंड स्वरुप फांसी के तख्ते पर लटका कर उसका जीवन हर लेना पुण्य का काम और न्यायोचित समझा जाता है ! दोनों ही सूरतों में हुई तो ह्त्या ही ना ! फिर एक पाप कैसे और दूसरी पुण्य कैसे ?विचारणीय रचना !

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  5. अक्सर ऐसे प्रश्न मन को उलझा देते हैं ...पाप और पुण्य में भेद करना ही कठिन हो जाता है....पशु बलि कैसे पुण्य हो सकती है यह सोचने पर विवश करती आपकी रचना सार्थक है

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  6. sach kaha aapne.......waise bhi bas soch ki baat hai paap aur punya ke liye........:)

    ek aur baat, agar aap jab kisi ke liye achchha karte ho, to automatically kisi dusre ke liye galat hone ke chances badh jaate hain.......:)

    ek achhhi rachna......

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  7. BHUPENDER KUMAR
    PAAP AUR PUNY KO SAMJHANE KE LIYE AACHARY SRI RAMSHARMA JI BATAYENGE

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