आप जब भी मेरे सामने आती हैं ,
अपनी पलकों को झुका लेती हैं ,
शायद कुछ कहना भी चाहती हैं ,
मन ही मन कुछ दोहराती हैं ,
मैं समझ के भी अनजान बना रहता हूँ ,
कभी निगाहें भी चुरा लेता हूँ ,
चुप्पी साध लेता हूँ ,
कहना चाहता हूँ बहुत कुछ ,
बात मुँह तक आ कर रुक जाती है ,
फिर सोचता हूँ कोई शेर लिखूँ ,
जिसे पढ़ कर आप ,
मेरे दिल को जान सकें ,
दिल की गहराई नाप सकें ,
कुछ आप भी कोशिश करें ,
कुछ पहल मैं भी करूँ ,
जिससे मन की बातों को ,
इक दूजे से कह पायें ,
मन को अभिव्यक्ति दे पायें |
आशा
बहुत अच्छे भाव लिखे मैम आपने ,
जवाब देंहटाएं"मैं समझ के भी ......................गहराई नाप सकें ,
कभी मेरे साथ ऐसा हुआ था , इसीलिए पढ़कर भावुक हो गया
thanks for post such good & almost real thought for feelings
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!! श्री हरि : !!
बापूजी की कृपा आप पर सदा बनी रहे
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बेहतरीन भावपूर्ण!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ! सुन्दर भावाभिव्यक्ति और मनोभावों का सफल चित्रण १ शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंमन को छू लेने वाली कविता लिखी है आपने। बधाई।
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