24 जून, 2010

पल दो पल की खुशियाँ

संघर्ष रत इस दुनिया में ,
उलझनों से भरा हुआ जीवन ,
फूलों की सेज सा दिखता है ,
पर काँटों की कमी भी नहीं है ,
समस्याओं का पिटारा है वह ,
जिन्हें सुलझाना ही होता है ,
शिकायतों के लिए जगह नहीं होती |
पल दो पल की खुशियाँ ,
इस में यदि झाँक पायें ,
उलझनों से दूरी रख कर ,
समस्याओं से भी निपट पायें ,
जीवन इतना भी सहज नहीं ,
जितना कि दिखाई देता है ,
सच तो यही है ,
दूर का ढोल सुहावना लगता है ,
कुछ क्षणों की प्रसन्नता की चाहत ,
हर किसी को होती है ,
वह भी यदि ऐसा ही चाहे ,
इसमें हानि ही क्या है ,
खुशियाँ जब जीवन में होंगी ,
कष्टों की पीड़ा कुछ तो कम होगी ,
तब जीवन असफल नहीं रहेगा ,
कुछ करने की चाह बढ़ेगी |


आशा

4 टिप्‍पणियां:

  1. पर कांटों की कमी भी नहीं है ,
    समस्याओं का पिटारा है वह ,
    जिन्हें सुलझाना ही होता है ,
    शिकायतों के लिए जगह नहीं होती

    सटीक लिखा है...लेकिन यह शिकायतें ही तो हैं जो जीवन को कड़वा कर देती हैं

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  2. अच्छी रचना !
    जीवन इतना भी सहज नहीं ,
    जितना कि दिखाई देता है ,
    बिलकुल सत्य कहा है आपने ! हर जीवन विषमताओं से भरा है और हर आम व्यक्ति इनको सुलझाने में ही अपना जीवन समाप्त कर लेता है ! खुशियाँ गिनने की तो उसे फुर्सत ही कहाँ मिल पाती है !

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  3. बिल्कुलठीक बात है --बहुत सफाई से कही गयी
    बहुत सटीक --बधाई

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