तरह तरह के लोग ,
आसपास जब होते हें ,
सब एक जैसे नहीं होते ,
कुछ विनम्र दीखते हैं ,
कई उग्र हो जाते है ,
कुछ ऐसे भी होते हैं ,
मीठी छुरी बने रहते हैं |
कटुता मन मैं विष भरती है
नहीं किसी को फलती है ,
सारी कटुता को बिसरा कर ,
क्षमा उसे यदि कर पाएं ,
अपनी गलती यदि खोजी ,
मन मैं पश्चाताप किया ,
हर क्षण खुशी से भर जाएगा ,
बीता कल हावी नहीं होगा ,
सारी कटुता बहा ले जाएगा ,
जीने का सही मार्ग यही है ,
मेरा अपना विश्वास यही है ,
भविष्य में क्या होना है ,
इसकी तो चिंता रहती है ,,
जीवन सफल बनाने की ,
मन में अभिलाषा रहती है ,
जो कल किया और आगे करना है ,
कठिन समस्या रहती है |
आगे बढने की प्रतिस्पर्धा में ,
बैचेनी भी रहती है ,
तटस्थ भाव से यदि देखें ,
भौतिकता सब कुछ नहीं होती ,
मन को संतोष नहीं देती ,
कुछ काम ऐसेभी है ,
जो मन को शांति देते हैं ,
इसी सकून को पाने के लिए ,
निष्काम भाव से जीना होगा ,
बैर भाव और कटुता को ,
खुद से दूर रखना होगा ,
प्रकृति हर नुकसान की ,
भरपाई तभी कर पाएगी ,
जब यह विश्वास जाग्रत होगा ,
सही मार्ग मिलता जाएगा ,
सफलता तुम्हारे कदम चूमेंगी ,
खुशियों से तुमको भर देंगी ,
सदा तुम्हारे साथ चलेगी ,
जीवन आनन्दित कर देगी
आशा
बहुत अच्छी सीख देती रचना!
जवाब देंहटाएंसुंदर अतिसुन्दर बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर -लाजवाब -
जवाब देंहटाएंगूढ़ -सत्य मार्ग दर्शाती हुई -
सकारात्मकता से भरपूर-
आनंदित करती हुई -
प्रभावशाली रचना ...!!
बधाई .
सुन्दर सन्देश देती रचना के लिये बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर सीख देती अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंlajabab Didi! aapki post dil ke kareeb hote hain!
जवाब देंहटाएंशायद इसी का नाम जीवन है.
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ सीखने को मिलता है आपकी रचना से.
आखिर आप इस उम्र में रचनात्मक जो है.
इसी सकून को पाने के लिए ,
जवाब देंहटाएंनिष्काम भाव से जीना होगा ,
बैर भाव और कटुता को ,
खुद से दूर रखना होगा ,
बहुत खूब ! एक बहुत ही सार्थक और प्रेरणाप्रद रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
....प्रेरणाप्रद रचना
जवाब देंहटाएंबहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
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