मन मैं छिपी भावनाओं के ,
इस अनमोल खजाने को ,
क्यूँ अब तक अनछुआ रखा ,
आखिर ऐसी क्या बात थी ,
सब की नजरों से दूर रखा ,
मन में उठी भावनाओं को ,
पहले तो लिपिबद्भ किया ,
फिर क्यूँ सुप्त प्रतिभा को ,
फलने फूलने का अवसर ना दिया ,
सब की नजरों से दूर किसी कोने में ,
इसे छिपा कर रखा,
हर बात जो मन को अच्छी लगती है ,
जीवन में अपना स्थान रखती है ,
यह अधिकार किसी को नहीं है ,
कि उसे अपने साथ ले जाए ,
कोई सपना अधूरा रह जाए ,
साथ ही चला जाए ,
जीने का यह अंदाज ऐसा भी बुरा नहीं है ,
किसी भावना से जुड़ जाएं ,
यह कोई गुनाह नहीं है ,
जो बीत गया कल फिर ना आएगा ,
आनेवाले कल का भी कोई पता नहीं ,
वर्तमान में संचित पूंजी का ,
क्यूँ ना पूर्ण उपयोग करूं ,
इस अनमोल खजाने का,
जी भर कर उपभोग करूं |
आशा
,
बिलकुल सही दिशा में चल रही हैं और सही सोच रही हैं ! वर्तमान के हर क्षण को जीने में ही जीवन की सार्थकता है ! इसे हाथ से सरकने मत दीजिए ! सुन्दर रचना और सशक्त अभिव्यक्ति ! बधाई !
जवाब देंहटाएंइस भाव-भीनी रचना को पढवाने के लिए धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति.... सुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंजीवन को सही दिशा देती सार्थक रचना ....जो पल अभी है बो अगले पल ही भूतकाल हो जायेगा ...और भविष्य का पता नहीं ..तो बस इस पल को ही जीना चाहिए ..
जवाब देंहटाएंवर्तमान में संचित पूंजी का ,
जवाब देंहटाएंक्यूँ ना पूर्ण उपयोग करूं ,
इस अनमोल खजाने का,
जी भर कर उपभोग करूं ...
Aameen ... bahut hi bhaavok abhivyakti ..